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पानी के रूप में बीमारियां खरीद रहे हैं रेल यात्री

फैंकी गई खाली बोतलों में 10 रुपए में बिक रहा है पानी

ग्वालियर। सावधान... रेलवे स्टेशन पर यात्री पानी की बोतल लेते समय यह जरूर देख लें कि पानी की बोतल 15 रुपए वाली है या फिर फैंकी गई खाली बोतल दोबारा भरकर 10 रुपए में बेचने वाली है। जी हां... फुटपाथ पर जीवन यापन करने वाले बच्चे रेलवे स्टेशन पर बिकने वाले मिनरल वाटर की खाली बोतलों में नल का पानी भरकर यात्रियों को बेच रहे हैं।

जानकारी के अनुसार रेलवे स्टेशन के आसपास कचरा तथा प्लास्टिक बीनने वाले बच्चे यात्रियों द्वारा फैंकी गई खाली बोतलोंं को पहले एकत्रित कर लेते है, फिर रेलवे स्टेशन पर लगी शीतल जल की प्याऊ पर इन्हीं बोतलों में ठंडा पानी भर लेते हैं। जैसे ही स्टेशन पर ट्रेन रुकती है तो गर्मी से बेहाल लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर यह बच्चे 10 रुपए में पानी की बोतल यात्रियों को बेच देते हैं। पुरानी बोतलों में स्टेशन पर लगे नलों का पानी भरकर इन दिनों खुलेआम बेचा जा रहा है।

रेलवे स्टेशन से हर रोज सैकड़ों ट्रेनें गुजरती हैं और हजारों यात्री रोजाना यहां आते-जाते हैं। यहां आने-जाने वाले यात्री प्यास बुझाने के लिए उन बच्चों से भी पानी खरीद लेते हैं, जो इस्तेमाल हो चुकी बोतलों में फिर से पानी भरकर बेचते हैं। जरूरतमंद और प्यासे लोग 10 रुपए प्रति बोतल की दर से पानी खरीदकर पीते हैं।

नहीं मिल रहा ठंडा पानी
ग्वालियर से उज्जैन जाने के लिए सैकड़ों की तादात में यात्री स्टेशन पर पहुंच रहे हैं, लेकिन स्टेशन पर अब तक पर्याप्त पानी का इंतजाम नहीं हो पाया है। रेलवे द्वारा चारों प्लेटफार्मों पर ठंडे पानी की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन यह व्यवस्था आए दिन फैल हो रही है। इन हालातों में यात्रियों को पानी के लिए मारामारी करना पड़ रही है। स्टेशन पर वाटर कूलर गर्म पानी उगल रहा है, जिससे स्टेशन पर यात्रियों को शीतल पेयजल नहीं मिल पा रहा है।

करना पड़ रही है धक्का-मुक्की
स्टेशन पर इन दिनों पानी भरने के लिए प्याऊ और वाटर कूलर के पास पहुंचने वाले यात्रियों को एक बोतल पानी के लिए भारी धक्का-मक्की का सामना करना पड़ रहा है। इन हालातों में सबसे अधिक मुसीबत महिलाओं को उठाना पड़ रही है, जिन्हें पानी भरने के दौरान काफी जद्दोजहद से गुजरना पड़ता है।

मुनाफे का धंधा
यात्रियों द्वारा फैंकी गई खाली पानी की बोतलों का धंधा करने वालों को इस काम में मुनाफा ही मुनाफा है क्योंकि वे लोग मुफ्त का पानी यात्रियों मोल बेच रहे हैं। इस पानी का कोई शुद्धीकरण भी नहीं होता, इसलिए उस पर भी कोई पैसा खर्च नहीं होता। मुफ्त के पानी की हर बोतल के लिए अगर किसी को 10 रुपए मिलें तो इससे अच्छा धंधा और क्या हो सकता है। यही वजह है कि स्टेशन पर जीवन प्यापन करने वाले बच्चों द्वारा यह धंधा जोरशोर से किया जा रहा है।
दरअसल पानी पीने के बाद जिन खाली बोतलों को यात्री अपनी सीटों पर छोड़ जाते हैं या फिर ट्रेन की खिड़की से बाहर लुढ़का देते हैं, उन्हीं बोतलों को जमा करने का धंधा चलता है। इस काम को अधिकतर बच्चे करते हैं, जो खाली बोतलें बोरे में जमा करते रहते हैं। ये खाली बोतलें बाद में एक जगह एकत्रित की जाती हैं और फिर उनमें सड़क किनारे लगे नलों से पानी भरकर दोबारा बिक्री के लिए स्टेशन पर आने वाली टे्रनों में बेचा जाता है।
इन्होंने कहा
हमारे द्वारा नियमित जांच कराई जाती है। आरपीएफ भी ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाती है। अगर उपयोग की गई बोतलों में पानी भरकर बेचा जा रहा है तो ऐसे लोगों के खिलाफ अवश्य कार्रवाई की जाएगी।
गिरीश कंचन
जनसम्पर्क अधिकारी, रेलवे

Updated : 22 April 2016 12:00 AM GMT
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