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भागो-भागो यथार्थ तुम्हारा पीछा कर रहा है

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भागो-भागो यथार्थ तुम्हारा पीछा कर रहा है

-आगरा बुक क्लब के तत्वाधान में सजी ‘राग दरबारी’ साहित्यिक संध्या


आगरा। सत्य, अस्तित्व और प्रबोधन आदि शब्दों के आते ही कथानक चिल्ला उठता है। किस्सा कहानी रोककर फिलासफी पढ़ता है लेकिन, सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से, कि खुशबू आ सकती कभी कागज के फूलों से....बुधवार को हिन्दी व्यंग्य लेखन के कुछ अंदाज के साथ आगरा बुक क्लब के सदस्यों ने प्रसि़द्ध साहित्यकार श्रीलाल शुल्क के उपन्याय राग दरबारी पर चर्चा की।
श्रीलाल शुक्ल जी, हिंदी साहित्य के प्रमुख साहित्यकार है। 1968 में प्रकाशित रागदरबारी उनका प्रसिद्ध उपन्यास है। 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से अलंकृत इस उपन्यास पर आगरा बुक क्लब के सदस्यों ने उपन्यास की कथावस्तु को शिवपालगंज तक ही सिमित नहीं मानते हुए इसकी अंतर्वस्तु को देशव्यापी माना। चर्चा के दौरान उपन्यास में क्लब के सदस्यों ने स्वाधीनता के उपरान्त भारतीय समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, अराजकता, भाई-भतीजावाद ,लूट-खसोट, अवसरवादिता तथा प्रजातंत्र के नाम पर चल रही बेईमानी की चर्चा की लेकिन वर्तमान समय में बदलते परिवेश को बड़ी कुशलता के साथ स्वीकार किया। इस साहित्यिक चर्चा में आकांक्षा समिति की अध्यक्ष संगीता भटनागर, आगरा बुक क्लब की अध्यक्ष व स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. शिवानी चतुर्वेदी, क्लब की सदस्य डाॅ. हिना गुप्ता, स्वाति जैन, अपर्णा, एडवोकेट अरुण खुराना, शिप्रा, श्रद्धा, मोहित महाजन, सौरभ अग्रवाल आदि ने हिस्सा लिया। चर्चा के बाद सदस्यों ने क्लब की वरिष्ठ सदस्या व आकांक्षा समिति की अध्यक्ष संगीता भटनागर का जन्मदिन केक काटकर मनाया और शहर में भारतीय कला संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनके योगदानों की प्रशंसा की।

Updated : 20 April 2016 12:00 AM GMT
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