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भारत दुनिया का सबसे अच्छा युद्धपोत बनाने में सक्षम: धवन

भारत दुनिया का सबसे अच्छा युद्धपोत बनाने में सक्षम: धवन
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भारत दुनिया का सबसे अच्छा युद्धपोत बनाने में सक्षम: धवन

नई दिल्ली | भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. के. धवन ने सोमवार को रक्षा निर्माण के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने को कहा। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अच्छा युद्धपोत और पनडुब्बी बनाने में समर्थ है।

नौसेना प्रमुख ने निजी निवेशकों और नौसेना के अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान कहा, ‘‘नौसेना ने अगले 15 साल के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का खाका तैयार कर उसे उद्योगों के साथ साझा किया है। उसमें करीब 100 तरह की प्रौद्योगिकियों का उल्लेख किया गया है जिनका इस्तेमाल हमारे युद्धपोतों और पनडुब्बियों में होना है।’’ धवन ने कहा कि नौसेना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को शोध, डिजाइन और हथियार तैयार करने में हर तरह की सहायता मुहैया कराएगी।

उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के भविष्य की अंतिम योजना (ब्लू प्रिंट) पूर्ण आत्म निर्भरता और स्वदेशीकरण की है। मैं समझता हूं कि निजी और सरकारी दोनों तरह के भारतीय उद्योगों की साझीदारी से भविष्य के युद्धपोत, पनडुब्बी और उड्डयन के क्षेत्र में शत प्रतिशत ‘मेड इन इंडिया’ सुनिश्चित हो जाएगा।

धवन ने कहा, युद्धपोत में तैरने वाले जो उपकरण लगते हैं जिससे इसका ढांचा बनता है उसमें भारत ने करीब- करीब 90 फीसदी स्वदेशीकरण की स्थिति हासिल कर ली है। यह इस वजह से कि युद्धपोतों के मुहर रक्षा शोध एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) की ओर से तैयार एवं विकसित किए जा रहे हैं और इनका निर्माण भारत में किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि विमानवाहक पोत विक्रांत का निर्माण कोच्चि में किया जा रहा है और उस पर भारतीय की मुहर लगी है। पोत चालन के काम आने वाले पुर्जों के निर्माण के मामले में भारत ने 60 फीसदी स्वदेशी की स्थिति हासिल की है। इसमें पोत को आगे बढ़ाने वाली और सहायक मशीनें हैं।

उन्होंने कहा कि लेकिन मुख्य गैस बैंकों के बनाने में स्वदेशीकरण का बहुत अधिक अवसर है। इसमें सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच साझीदारी हो सकती है। ये गैस बैंक पोत में मुख्य प्रणोदक एवं सहायक प्रणोदक के लिए प्रारंभिक जरूरत होते हैं। नौसेना को विदेश की सहायता की जरूरत युद्धपोतों के उन उपकरणों में है जिनमें हथियार प्रणाली एवं सेंसर होते हैं।

Updated : 19 April 2016 12:00 AM GMT
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