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भ्रष्टाचार उजागर करने का सशख्त तरीका है आरटीआई-श्री हाफिज

आम जनता इस कानून का अधिक से अधिक इस्तेमाल करे
राज्य सूचना आयोग में रोज 1500 वादों का निस्तारण

आगरा। उ0प्र0 के राज्य सूचना आयुक्त ने सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 को आम आदमी का हथियार बताते हुए जनता से इसका इस्तेमाल करने का आह्वान किया। ये अधिकार जनता को संविधान ने दिया है। इसकी सुरक्षा और इसके सही इस्तेमाल की जिम्मेदारी है ।

सर्किट हाउस में शनिवार को राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज मुहम्मद उस्मान ने बैठक के दौरान बताया कि कमजोर, बेबस और लाचार लोगों के लिए सबसे सशख्त तरीका आम जनता को प्राप्त है। फिर न्याय मिलने में पेरशानी क्यों, यह आम आदमी का सबसे अच्छा हथियार है। इसे जितना प्रयोग करेंगे यह उतना ही मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि आजकल कोई भी हक लाठी, डण्डे से नहीं, न ही जोर-जबरदस्ती से लेने के प्रयास से नहीं मिलता है। इसके लिए आरटीआई कानून है। राज्य सूचना आयुक्त ने बताया कि अगर आम आदमी के काम सरकारी स्तर पर समय के साथ होते रहें, तो किसी को आरटीआई की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने अफसोस जाहिर किया कि यह काम हो नहीं रहा है। इसलिए सरकारी विभागों में आरटीआई की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आम लोगों को आरटीआई का प्रयोग करने की आवश्यकता ही न पड़े और सूचना आयोग पर भी अपीलों व प्रार्थना पत्रों का बोझ न बढ़े, तो अपनी जिम्मेदारियों का समय के साथ निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि अगर कोई अधिकारी किसी का काम नहीं कर रहा है तो उस व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह 30 दिन के अंदर अपने काम के बारे में सरकारी कार्यवाही की रिपोर्ट आरटीआई के माध्यम से मांग सकता है। अगर सम्बन्धित सूचना अधिकारी ने 30 दिन के अंदर सूचना उपलब्ध नहीं करायी तो वह अपीलीय अधिकारी के यहॉ अपील कर सकता है। इसके लिये उसे 15 दिन इंतजार करना होगा।

अगर 15 दिन में उसे ठीक जवाब नहीं मिलता है, तो वह सूचना आयुक्त को दोनों प्रार्थना पत्रों की फोटो कॉपी सहित अपील कर सकता है। सूचना आयुक्त शिकायत सही पाए जाने पर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत अधिकारी पर 25 हजार रूपया जुर्माना की सजा धारा 20(2) के तहत विभागीय कार्यवाही का आदेश कर सकता है।

Updated : 6 March 2016 12:00 AM GMT
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