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पीडि़तों के काम नहीं आ रही कलेक्टर की जनसुनवाई

पीडि़तों के काम नहीं आ रही कलेक्टर की जनसुनवाई
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पीडि़तों के काम नहीं आ रही कलेक्टर की जनसुनवाई

*क्या करे सरकार, अधिकारी बने काल

*सालों से चक्कर लगा रहे हैं पीडि़त, जन परेशान नौकरशाह मजे में

ग्वालियर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी योजना जनसुनवाई धरातल पर कितनी असफल साबित हो रही है इसका जीता-जागता उदाहरण जिलाधीश कार्यालय में होने वाली जनसुनवाई है। हालांकि इसका उद्देश्य गरीबों,दुखियों और नि:शक्तो की समस्याओं का निराकरण करना है। ताकि उन्हें अपने काम के लिए सरकारी विभागों के चक्कर न काटने पड़ें। एक छत के नीचे सभी अधिकारी उनकी शिकायतों को सुनें और त्वरित निराकरण करने के आदेश अपने अधीनस्थों को दें। लेकिन इसके उलट जनसुनवाई में दिन-प्रतिदिन अधिकारियों की रुचि कम होती जा रही है।

शिकायत पर सुनवाई तो दूर लोग सालों से शिकायती पत्र हाथ में लिए जिलाधीश कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। इन्हें कभी इधर तो कभी उधर भेज दिया जाता है। प्रशासनिक अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को ताक पर रख इनकी पीड़ा को न समझ जमकर मखौल बनाते हैं। बड़ी संख्या में यहां पर आए पीडि़तों का कहना है-की जनसुनवाई काहे की है, सुनता तो कोई है नहीं। हम अपनी पीड़ा बताते हैं लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिलता। कई लोगों ने कहा कि हम अपनी शिकायतों के निराकरण के लिए यहां आते है लेकिन यहां पर कार्यरत चपरासी और बाबू हमें टरका देते है। स्वदेश ने मंगलवार को जनसुनवाई की हकीकत जानने का प्रयास किया तो एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जिसने बताया हो कि उसके आवेदन पर जिलाधीश ने त्वरित कार्यवाही के आदेश दिए हों। अब सवाल ये उठता है कि ऐसी जनसुनवायी का क्या मतलब जिसका कोई फायदा न हो।

रिश्वत देने के बाद भी नहीं मिली प्रसूति सहायता
चीनौर के मैना गांव के निवासी मजदूर उदय सिंह शाक्य पैरों से विकलांग हैं। 16 फरवरी 2015 से लेकर अब तक जनसुनवाई में अपनी शिकायत लेकर आ रह हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कर्मकार मण्डल की योजना के अनुसार मेरी पत्नी को 6 हजार की प्रसूति सहायता मिलनी थी। इसके लिए ग्राम पंचयात सचिव लाखन जाटव ने 2 हजार की रिश्वत मांगी। एक हजार रुपए दे भी दिए। लेकिन अब तक राशि नहीं मिली। अब मैं यहां के चक्कर काट रहा हूं। यहां अधिकारी कहते हैं कि जिसे रिश्वत दी है वहीं सहायता राशि भी देगा।

मेरी जगह अपात्र को दी नियुक्ति
जनसुनवाई में चक्कर लगाकर परेशान हो चुकीं चीनौर निवासी रेखा राजपूत बताती हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के लिए मैंने ग्राम भागीरथ का पुरा से आवेदन भरा था। परिपक्वता की परीक्षा भी दी थी। जिसमें दूसरा स्थान मिला था। लेकिन ग्राम समिति ने इसे अमान्य कर दिया और स्वार्थ के कारण स्वाति पुत्री सुरेश जाटव को नियुक्ति दे दी। जबकि शासन के आदेश में उसने अवविवाहित बताया है लेकिन वह विवाहित है। कई बार शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। न्यायालय ने भी मेरे हक में फैसला दिया है। पिछले दो साल से यहां चक्कर काट रही हूं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पंचायत सचिव ने किया घोटाला
बेहट स्थित गंाव घुसगवां निवासी सालिगराम गुर्जर पिछले तीन साल से ग्राम पंचायत के सचिव विवेक गुर्जर द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के बारे में जिला पंचायत से लेकर जिलाधीश तक शिकायत कर चुके हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सचिव पंचायत आईडी बनवाने के नाम पर हजार रुपए रिश्वत मांगता है। सालिगराम का आरोप है कि नीम पर्वत पर लाखों रुपए के पौधे लगाने के नाम पर घोटाला किया गया है। अधिकारी सुनते नहीं हैं,हम गांव के लोग परेशान हो रहे हैं।

अब तक नहीं मिला शिक्षा ऋण
लक्ष्मीगंज निवासी बीएससी नर्सिंग की छात्रा चेतना शर्मा बताती हैं कि मैंने पांच माह पहले शिक्षा के लिए 3 लाख 90 हजार के ऋण का आवेदन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में दिया था। जब से मैं बैंक के चक्कर काट रही हूं। जिलाधीश को भी जनसुनवाई में आवेदन दिया लेकिन कोई नहीं सुनता है। यहां अधिकारी कहते हैं कि ऋण स्वीकृत हो गया है, वहीं बैंक से जवाब मिलता है कि आवदेन में कागज पूरे नहीं हैं।

गरीबी रेखा का कार्ड नहीं बना रहे
जनसुनवाई में आए थाटीपुर कबीर कॉलोनी निवासी भगवानदास बाबा ने बताया कि कई बार जनसुनवाई में आ चुका हूं। मेरा गरीबी रेखा का राशन कार्ड कोई नहीं बना रहा है। पुराने कार्ड क्रमांक -328045 को हाथ में लेकर सबको दिखाते हुए बाबा रोकर अपनी पीड़ा को बयां करते हैं कि कार्ड बनवाने के नाम पर हजार रुपए मांगते हैं। मैं भीख मांगकर अपना गुजारा कर रहा हूं। कोई नहीं है जो मेरी फरियाद सुने।

आठ साल से जेयू प्रशासन कर रहा परेशान
जीवाजी विश्वविद्यालय में प्रबंध संस्थान के पूर्व प्रोफेसर रहे डॉ.पीयूषकांत शर्मा ने बताया कि अगस्त 15 में मुझे जेयू में सरकारी आवास (बैचलर क्वाटर्स-3) आवंटित किया था। जुलाई 2008 में मैंने खाली कर दिया था। मेरी पूर्व पत्नी ने ताला तोड़ कर उस पर कब्जा कर लिया। इस कारण मुझे पीएफ नहीं दिया जा रहा है। मुझे गंभीर बीमारी है। पुलिस और जिलाधीश को आवदेन दे चुका हूं। लेकिन कोई नहीं सुनता ।

यहीं आत्महत्या कर लूंगा
जनसुनवाई में कोई सुनवाई न होते देख परेशान हो चुके दैनिक वेतन भोगी दीपक भार्गव ने कहा कि मैं सब डिवीजन लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक एक में दैनिक वेतन भोगी हूं। वर्गीकरण में विभाग के कर्मचारियों की गलती के कारण मेरी उम्र गलत लिख दी है। मैंने कई बार आवेदन दिया लेकिन कोई कुछ नहीं करता। जिलाधीश की जनसुनवाई में कई बार आवेदन दे चुका हूं। अगर मेरी सुनवायी नहीं की गई तो मैं यहीं पर मिट्टी का तेल डालकर आत्महत्या कर लूंगा।

शिकायतों का लग रहा अंबार
प्रत्येक मंगलवार को जनसुनवाई में बच्चे,युवा,महिलाएं और 90 साल तक के बुजुर्ग हाथ में आवदेन लिए कतार में लग कर अपनी बारी का इंजतार करते हैं। किसी को पेंशन नहीं मिल रही है, तो किसी की अनुकंपा नियुक्ति अटकी है, तो कहीं पुलिसवाले नहीं सुनते हैं, कहीं जबरन मुकद्में या ख्ेात पर कब्जा तो कहीं पटवारियों की मनमानी, कहीं पानी नहीं लेने देते तो कही विभागीय परेशानी कहीं निकलने नहीं देते तथा इसके अलावा शिकायतों का अम्बार है। लेकिन अधिकारी मौन हैं। मनमानी के चलते मात्र ग्वालियर जिले में हजारों शिकायतों का निराकरण नहीं हो रहा है।

Updated : 30 March 2016 12:00 AM GMT
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