भोपाल से लौटकर पंचायत सचिव फिर बैठे धरने पर
सरकार ने नहीं मानी मांगें
मुरैना। म.प्र. सरकार ने पंचायत सचिवों की पांच सूत्रीय मांगों को भोपाल प्रदर्शन के समय नहीं माना तो उन्हें निराश होकर पंचायतों में वापिस आना पड़ा और जनपद पंचायतों पर सचिव पुन: अनिश्चतकालीन धरना पर बैठ गए।
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत सचिव अपने वेतनमान को अध्यापक के बराबर समान वेतन की मांग के लिए पूर्व में सभी कार्य छोड़ जनपद मुरैना, अम्बाह पंचायत पर बैठे थे। उसके बाद सामूहिक रूप से मध्यप्रदेश के समस्त सचिवों ने भोपाल जाकर जंगी प्रदर्शन किया किंतु उनकी मांगों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोई तबज्जों नहीं दी। इसलिए वे निराश होकर विगत बुधवार से जनपद पंचायत अम्बाह पर अनिश्चतकालीन धरना पर बैठ गये है। आगे उन्होंने कहा है कि जब तक हमारी मांगें पूर्ण नहीं होती तब तक हम पंचायत का कोई कार्य नहीं करेंगे। धरना देने वालों में महेश सिंह तोमर, शिशुपाल सिंह तोमर, मवारीलाल उपाध्याय, चेतराम, राधेश्याम सिंह तोमर, रमेश शर्मा, सतेन्द्र प्रजापति, सुरेश सिंह गुर्जर, केशव सिंह तोमर, देवेन्द्र शर्मा, विनोद सिंह, विश्वनाथ सिंह तोमर अन्य पंचायतकर्मी मौजूद थे।
कैलारस में पंचायत सचिव धरने पर बैठे
मप्र संयुक्त सचिव-सहायक सचिव सगठन के तत्वावधान में 10 सूत्रीय मांगों को लेकर जनपद पंचायत कैलारस के प्रांगण में 65 ग्राम पंचायत कर्मी 23 फरवरी से कलमबंद अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। पंचायत सचिव व सहायक सचिवों की हड़ताल से ग्राम पंचायतों में मनरेगा, इंदिरा आवास, मुख्यमंत्री, पंच परमेश्वर सहित 93 योजनाओं के विकास कार्य ठप पड़े हैं। पंचायत सचिव संगठन कैलारस अध्यक्ष रामजीलाल शाक्य ने कहा कि पंचायत सचिव एवं सहायक सचिव नियमितीकरण सहित 10 सूत्रीय मांगों के लिये कलमबंद अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं।
प्रदेश सरकार पंचायत सचिव एवं सहायक सचिवों से 18-20 घंटे कार्य कराकर पांच हजार रुपए भुगतान के रूप में देकर शोषण कर रही है। धरना देने वालों में संगठन सचिव अध्यक्ष राजकुमार सिकरवार, मप्र कर्मचारी संघ एवं ग्राम रोजगार सहायक मुरैना के मीडिया प्रभारी पवन चौरसिया, सूरज प्रजापति, जगदीश धाकड़, गोविन्द सिकरवार, इकबाल यादव, विद्याराम शाक्य, नेत्रपाल यादव सहित अन्य पंचायतकर्मी उपस्थित थे।