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फरवरी में ही गहराया जल संकट

जलस्तर पहुंचा पांच सौ फीट नीचे, तलाब कुआं भी सूखे

संतोष शर्मा/पोहरी। क्षेत्र में इन दिनों भीषण जलसंकट ने दस्तक दे दी है जलस्तर फरवरी के शुरुआत में ही काफी नीचे चला गया है अप्रेल एवं मई आते आते जलस्तर और भी नीचे जाने का अनुमान है ऐसे में प्रशासन है कि चिरनिद्रा में हैं एवं अभी तक जलसंकट से निपटने की कोई ठोस योजना भी नहीं बनाई गई जिससे जलसंकट और भी भीषण हो सकता है।
जानकारी के अनुसार पोहरी के बैराड़ में जल संकट अधिक विकराल होता जा रहा है इलाके के 75 से अधिक गांवों में अभी से पीने के पानी की किल्लत होने लगी है लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के कई हैण्डपंप जलस्तर गिरने, अमले की कमी एवं सामग्री की उपलब्धता न होने के कारण बंद पड़ चुके हैं जिससे ग्रामीण इलाकों में अभी से लोगों को दूर-दूर से पानी लाना पड़ रहा है।
पोहरी क्षेत्र की बात करें तो यहां भी कई इलाकों में पर्याप्त बारिश के बाद भी जलस्तर पांच सौ फिट से भी नीचे चला गया है जिससे कई हैण्डपंप बंद हैं तो कई नल-जल योजनाएं ठप पड़ चुकी हैं। तालाबों में पानी सूख चुका है जिससे पशु-पक्षियों को भी पानी की किल्लत का सामना पड़ रहा है इंसान तो कहीं न कहीं से अपनी प्यास बुझा लेगा परंतु जानवर व पक्षियों के लिये इस बार गर्मी का मौसम काफी समस्या भरा रहने वाला है।
करोड़ों रुपए खर्च के बाद भी क्यों नहीं भरे तालाब व कुएं?
पोहरी व बैराड क्षेत्र में आरईएस, वाटरशेड, पीएचई, वनविभाग के द्वारा क्षेत्र में हजारों की संख्या में तालाब, कुआं, मेढबंधान, चेकडेम आदि का निर्माण करोड़ों की राशि खर्च कर किया गया था परंतु इन जल संग्रहण संरचनाओं में पानी आज तक नहीं रूका है जबकि इन संरचनाओं के निर्माण से पहले प्राक्कलन में स्पष्ट उल्लेख किया जाता है कि जल संग्रहण संरचना निर्माण के बाद इनमें पानी रुकेगा जिससे आस-पास के कुआं एवं हैण्डपंपों का जलस्तर बढ़ेगा, इन जल संरचनाओं के निर्माण के बाद न तो इनमें पानी रुका है और ना ही हैण्डपंप और कुआं का जल स्तर बढ़ा है।
आखिर करोड़ों रुपया खर्च कर बनाई गई इन संरचनाओं में पानी क्यों नहीं रुकता एवं क्यों इन संरचनाओं के निर्माण की उच्चस्तरीय जांच नहीं की जाती यह भी अपने आप में एक यक्ष प्रश्न बनकर सामने आता है।
हैण्डपंपों की हालत भी खराब
पीएचई एवं अन्य विभागों द्वारा पोहरी व बैराड में करीब एक हजार पांच सौ हैण्डपंप लगवाए हैं इनकी हालत यह है कि कुछ का जलस्तर अभी से नीचे पहुंच गया है तो कई खराब हो चुके हैं जिन्हें सुधारने के लिये जनप्रतिनिधियों द्वारा विभाग को शिकायती आवेदन देकर अवगत कराया गया परंतु वो आज तक ठीक नहीं हो सके हैं जिससे क्षेत्र में आंशिक रूप से ही हैण्डपंप चालू हैं। पीएचई विभाग के खण्ड स्तरीय अधिकारी से पूछा गया कि जन प्रतिनिधियों की शिकायत के बाद हैण्डपंप सुधार कार्य क्यों नहीं कराया गया तो उनका कहना होता है कि हमारे पास हैण्डपंप सुधारने के लिए संसाधन एवं सामग्री की कमी है जिले से प्राप्त होने पर हैण्डपंप सुधार कार्य कराया जाएगा।
कुल हैण्डपंप 1370
चालू हालत में 850
मैकेनिक 9
उपयंत्री 1
नलजल योजना 36
चालू हालत में 29
इनका कहना है
हमारे पास पर्याप्त मात्रा में स्टाफ नहीं है एवं संसाधनों की कमी है जिससे समस्या आ रही है परंतु हम उनसे ही काम चला रहे हैं, आगे जल संकट और भी गहराएगा जिससे निपटा जाएगा।
एलएन कोली, उपयंत्री पीएचई पोहरी
किसान डीजल पंप रखकर अपने खेतों में तालाब व नदियों से सिंचाई कर लेते हैं जिससे पानी सूख जाता है एवं जलस्तर भी नीचे चला जाता है, पशुओं को भी पीने का पानी नहीं मिल पाता।
यादवेन्द्र शर्मा, एसडीओ आरईएस पोहरी
गांव में पानी की भारी किल्लत है पीने के पानी का एक कुआं है वह भी अभी से सूख गया है, हैण्डपंप खराब पड़े हुए हैं लोग पीने के लिए खेतों से पानी लाने को मजबूर हैं।
धर्मेन्द्र सिंह राजावत,
ग्रामीण बटकाखेडी पोहरी
बैराड क्षेत्र के कई गांवों में तीन किलामीटर दूर से पानी ला रहे हैं, इलाके के हैण्डपंप व नल-जल योजनाएं अधिकांशत: बंद पड़ी हैं, यदि शासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो समस्या और अधिक गंभीर हो सकती है।
राजकुमार शर्मा, भाजपा नेता बैराड़

Updated : 6 Feb 2016 12:00 AM GMT
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