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भारत ही नहीं पूरे विश्व की सांस्कृतिक राजधानी है ग्वालियर

भारत ही नहीं पूरे विश्व की सांस्कृतिक राजधानी है ग्वालियर
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लक्ष्मण कृष्णराव एवं प्रो.भावसार डी-लिट की मानद उपाधि से अलंकृत

संगीत विवि के दीक्षांत समारोह में 37 विद्यार्थियों को मिले स्वर्ण पदक

ग्वालियर। कला के क्षेत्र में पारंगत होने के लिए साधना की जरूरत होती है, शक्ति, भक्ति एवं युक्ति सफलता का मूल मंत्र है। शक्ति से आशय क्षमता व सामथ्र्य, भक्ति से मतलब अपने गुरू के प्रति समर्पित होकर शिक्षा प्राप्त करना और युक्ति से आशय है ग्रहण की गई शिक्षा से कला की नई-नई विधाएं सामने लाना। यह बात गुरूवार को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि के सभागार में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विवि के द्वितीय दीक्षांत समारोह अवसर पर शास्त्रीय गायक पं. लक्ष्मण कृष्णराव पंडित ने मुख्य अतिथि के रूप में कही।


समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल एवं कुलाधिपति रामनरेश यादव ने की। जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में महापौर विवेक नारायण शेजवलकर, प्रो लक्ष्मी नारायण भावसार उपस्थित थे। समारोह का शुभारंभ राज्यपाल रामनरेश यादव सहित अन्य अतिथियों ने मां सरस्वती एवं राजा मानसिंह तोमर की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित एवं पुष्पाहार अर्पित कर किया। तत्पश्चात विवि की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।


इस अवसर पर राज्यपाल श्री यादव द्वारा दीक्षांत समारोह में ग्वालियर सांगीतिक घराने के मूर्धन्य शास्त्रीय गायक पं. लक्ष्मण कृष्णराव पंडित एवं प्रदेश के सुप्रसिद्ध चित्रकार प्रो. लक्ष्मीनारायण भावसार को चित्रकला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए विवि की ओर से डी-लिट की मानक उपाधि से सम्मानित किया।
समारोह में श्री पंडित ने कहा कि यह मेरा सम्मान नहीं बल्कि ग्वालियर की संगीत परंपरा का सम्मान है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर भारत ही नहीं पूरे विश्व की सांस्कृतिक राजधानी है। पं. लक्ष्मण कृष्णराव पंडित ने कहा कि ग्वालियर राजा मानसिंह तोमर से लेकर तानसेन, हद्दू खाँ, जीवाजी राव सिंधिया, शंकरराव पंडित, गनपतराव, कृष्णराव पंडित व अमजद अली खां जैसे मूर्धन्य कला पोषकों की धरती रही है। राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में कला एवं संस्कृति की गौरवशाली परंपरा है। उन्होंने दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी। समारोह में अतिथियों द्वारा विवि की स्मारिका का विमोचन किया गया। वहीं संगीत विभाग की विभागध्यक्ष प्रो. रंजना टोणपे द्वारा लिखित' ग्वालियर की लिखित परम्परा एवं संस्कृति में तोमर वंश का योगदान का विमोचन किया गया। समारोह का संचालन विवि के कुलसचिव कृष्णकांत शर्मा ने किया।


हमेशा गुरू का सम्मान करना चाहिए
डी-लिट उपाधि से सम्मानित प्रो लक्ष्मीनारायण भावसार ने कहा कि विद्यार्थियों को सदैव गुरू का सम्मान करना चाहिए। कला की शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरू-शिष्य परंपरा बहुत जरूरी है। वहीं महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से कहा कि आज उनकी दीक्षा जरूर पूरी हुई है, पर शिक्षा सतत चलने वाली प्रक्रिया है।


कैमरे में कैद किए सुनहरे पल
दीक्षांत समारोह के सुनहरे पलों को मेडल व उपाधि पाने वाले छात्रों ने कैमरे में कैद किया। जो छात्र मंच पर मेडल व उपाधि लेने पहुंचे, उनके दोस्त व परिजन उनके फोटो ले रहे थे। ताकि हमेशा के लिए खुशी के इन पलों को यादगार बनाने फोटो सहेजकर रखे जा सकें। गाउन पहने हुए छात्रों ने कार्यक्रम समाप्त होने के बाद हॉल के अंदर व बाहर अपने परिजनों व गुरूजनों के साथ भी फोटो खिंचवाए।


मेरे लिए लिए बहुत गर्व की बात
मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मुझे डीलिट की उपाधि से सम्मानित किया गया। यह मेेरे लिए बहुत गर्व की बात है। यह बात गुरूवार को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि के सभागार में आयोजित संगीत विवि के दीक्षांत समारोह के दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए ग्वालियर घराने के विख्यात खयाल गायक पंडित लक्ष्मण कृष्णराव पंडित ने कही। उन्होंने कहा कि युवा कलाकारों को गुरु-शिष्य परंपरा से बढऩा चाहिए। उल्लेखनीय है कि कृष्णराव शंकर पंडित के पुत्र लक्ष्मण कृष्णराव पंडित ने भी अपने पिता और दादा की तरह गायन के क्षेत्र में खूब नाम कमाया, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार समेत अनेक सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है।


मैं आज भी अपने आप को विद्यार्थी समझता हूं
मुझे बहुत खुशी हो रही है कि राजा मानसिंह तोमर संगीत विवि ने मुझे डीलिट की उपाधि से सम्मानित किया। मैने अपने आप को कभी प्रोफेसर नहीं समझा, मैं आज भी अपने को एक विद्यार्थी की तरह समझता हूं। यह बात सुप्रसिद्ध चित्रकार प्रो.लक्ष्मीनारायण भावसार ने कही। उन्होंने कहा कि गुरू जो शिष्य को सिखाते हंै, वह उन्हें भी सीखना चाहिए।


37 विद्यार्थियों को दिए स्वर्ण पदक
दीक्षांत समारोह में 37 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इनमें स्नातक स्तर पर तीन संकाय गोल्ड मैडल, स्नातकोत्तर स्तर पर 24 स्वर्ण पदक तथा 10 स्वर्ण पदक दानदाताओं द्वारा प्रदान किए गए। साथ ही विवि के सत्र 2012-13, 2013-14 एवं 2014-15 में संगीत-गायन, वादन, नृत्य एवं चित्रकला, व्यवहारिक कला तथा नाटक में उत्तीर्ण 605 विद्यार्थियों को स्नातक-स्नातकोत्तर उपाधि प्रदान की गईं।


छात्रों को निराशा हाथ लगी
दीक्षांत समारोह में उपाधि लेने आए अधिकतर विद्यार्थी उस समय निराश हुए जब उन्हें राज्यपाल द्वारा उपाधि नहीं मिली। राज्यपाल रामनरेश यादव का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण उनके द्वारा केवल 37 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। उसके बाद जिन छात्रों को उपाधि दी जाने वाली थी, ऐसे छात्रों को बाद में विवि की कुलपति प्रो. स्वतंत्र शर्मा द्वारा उपाधि प्रदान की गई। राज्यपाल द्वारा उपाधि नहीं मिलने के कारण समारोह में आए विद्यार्थियों को निराशा हाथ लगी।
रंग-बिरंगे गाउन पहनकर पहुंचे विद्यार्थी दीक्षांत समारोह में जैसे ही मंच पर विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक की उपाधियां मिली तो उनके चेहरे खिल उठे। किसी ने अपने दोस्तों से तो किसी ने अपने परिजनों के साथ अपनी खुशी साझा की। मेडल व उपाधि पाने वाले छात्रों ने कार्यक्रम समाप्त होने के बाद अपने उन गुरूजनों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, जिनके मार्गदर्शन से पढ़ाई में मेहनत तक उपलब्धि हासिल हुई। रंग-बिरंगे गाउन पहनकर बैठे छात्र जोश,उमंग व उत्साह से सराबोर थे। उन्हें मंच पर बुलाए जाने का बेसब्री से इंतजार था। जैसे ही माइक पर नाम पुकारकर एक के बाद एक छात्रों को स्वर्ण पद व उपाधि लेने मंच पर बुलाया गया तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

Updated : 26 Feb 2016 12:00 AM GMT
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