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कंट्रोल दुकानों पर पहुंचेगी डिजीटल मशीनें

अशोकनगर| गरीबों के हक का राशन उन्हें हर सूरत में दिलाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने उच्च तकनीकी वाली डिजीटल मशीनें पीओएस को कंट्रोल दुकानों पर पहुंचानें की कवायद शुरू कर दी है। जिसे लेकर कंपनी के प्रतिनिधि उक्त मशीनों को चलाने का प्रशिक्षण जिला पंचायत में दुकान संचालकों को दे रहे हैं। उक्त प्रशिक्षण चार दिनों तक चलने की बात विभाग द्वारा बताई गई है।


पूर्व में प्रशासन द्वारा राशन दुकानों के उपभोक्ताओं को पात्रता पर्ची जारी की थी। जिनसे वितरण व्यवस्था चल रही है। शासन के आगामी आदेश से अब उपभोक्ताओं को पात्रता पर्ची एवं उनके राशन कार्ड रजिस्टे्रशन के साथ-साथ डिजीटल मशीन पर दम्भ प्रेशर विधि से अंगूठा लगाकर उसकी छाप छोडऩा होगी। जिसका मिलान होने पर मशीन से दो पर्चियां निकलेगी एक उपभोक्ता को तथा एक दुकान संचालक के पास पर्चियां रहेगी। उक्त प्रकार की तकनीकी अपनाकर शासन-प्रशासन कालाबाजारियों पर लगाम कसने की व्यवस्था में जुटा दिखाई दे रहा है। जिससे जहां उपभोक्ताओं को उनके हक का तयशुदा मापदण्ड में सामग्री दी जा सकेगा तो वहीं कंट्रोल दुकान संचालक भी ईमानदारी से उपभोक्ताओं के बीच राशन बांटते नजर आएगें। दुकान संचालकों को प्रशिक्षण देने पहुंचे कंपनी के प्रतिनिधि जिनमें प्रदीप शर्मा, अनुराग पचौरी, महेन्द्र राजपूत आदि चार दिनों तक मशीनें चलाने की टे्रनिंग देने शासन के आदेश से आए हैं। जिले में उन सभी उपभोक्ता भण्डारों की दुकानों पर उक्त मशीनें जल्द पहुंचेगी। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि अपै्रल से शासन के आदेश पर उक्त प्रक्रि या के तहत राशन वितरण कराया जा सकेगा।


बेईमान संचालकों में हड़कंप: पहले कई सरकारें आईं और गईं जिन्होंने गरीबों एवं सामान्य वर्ग के लोगों के लिये राशन वितरण की नीतियां भी बनाई लेकिन कालाबाजारियों की गतिविधियां नही थमीं और गरीब के हक छिनता रहा। प्रदेश सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम बनाकर अपनी नियत साफ कर दी थी कि हर हाल में राशन वितरण की गड़बडिय़ों को रोकना है और पात्र लोगों को उनकी रसोई तक राशन पहुंचाना है। फूड सिक्योरिटी बिल अस्तित्व में आने के बाद भी राशन वितरण व्यवस्था की जब गड़बढिय़ां नहीं रूकी तो शासन ने डिजीटल तकनीकी अपनाई है। जिसमें नीतिकारों एवं प्रशासन मेंं बैठे वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि दुकान संचालक पात्रता पर्ची एवं मशीन की उपभोक्ता के संबंध में प्रमाणित जानकारी पर ही सामग्री उपलब्ध करा सकेगा। जिससे ऐसे संचालक परेशान दिखाई दे रहे हैं। जिनकी नियत पर सवाल उठते आए हैं।


आदिवासियों के राशनकार्ड रसूखदारों के पास:
जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में रहनें वाले आदिवासी परिवारों के अधिकांश राशनकार्ड जो अत्यंत गरीबी रेखा के होकर 1 रुपये किलो गेहूं मिलने वाले हैं वह जंगल एवं ग्रामीण इलाकों मेें स्थानीय रसूखदारों लोगों के पास कुछ पैसों के बदले में रखे हैं। शहर के आसपास आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जिनमें शंकरपुर मगरदा, टकनेरी, गोराघाट आदि क्षेत्र भी प्रभावित हैं। राशनकार्ड आदिवासियों को सिर्फ राशन लेने के लिये दिये जा रहे हैं बाकि सामान पर हक रसूखदारों का सामने आता है।

Updated : 26 Feb 2016 12:00 AM GMT
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