Home > Archived > साहित्यकार सम्मेलन-राष्ट्र भाषा और पत्रकार उत्पीडऩ बना मुद्दा

साहित्यकार सम्मेलन-राष्ट्र भाषा और पत्रकार उत्पीडऩ बना मुद्दा

शिक्षाविद् एवं समाजसेवियों को दिया शिखर श्री अवार्ड

अलीगढ। राजकीय औद्योगिक एवं कृषि प्रदर्शनी के मुक्ताकाश मंच पर बुधवार को शिक्षाविद् स्व. ठा राजपाल सिंह की स्मृति में आयोजित साहित्कार सम्मेलन में जहाँ जेएनयू प्रकरण की जमकर भत्र्सना की गयी वहीं कलमकारों ने राष्ट्र भाषाओं की अनदेखी और पत्रकारों के उत्पीडन वाले मामलों पर चिंता व्यक्त की। वहीं यहाँ शिक्षाविदों और समाजसेवियों को शिखर श्री अवार्ड से सम्मानित भी किया गया। शुभारम्भ शिक्षाविद् स्व. ठा राजपाल सिंह के चित्र पर दीप प्रज्वलन और सांगवान वल्र्ड स्कूल के बच्चों के स्वागत गान से हुआ।
मुख्य अतिथि डा नरेंद्र सांगवान, विशिष्ट अतिथि किशन गोपाल शर्मा, संयोजक हरीश बेताब, मौ नफीस अशरफ, मौ रफीक, अशोक सक्सैना, फरहत अली उस्मानी, मेघ सिंह बादल, शंभू केएन सिंह रावत, डा. केबी दुबे आदि प्रमुख वक्ताओं ने शिक्षा को राष्ट्र भाषाओं से जोडऩे का आव्हान किया। वहीं मौ. रफीक ने प्राथमिक शिक्षा की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त की। संयोजक हरीश बेताब ने पत्रकारों के उत्पीडऩ का विरोध किया। कलमकारों ने जेएनयू में राष्ट्र विरोधी नारेबाजी का विरोध किया गया। ठा. राजपाल स्मृति पुरस्कार पूर्व प्रधानाचार्य संतोष गुप्ता को दिया गया। सम्मेलन के दूसरे सत्र में कवि प्रेम किशोर पठाखा, वेद प्रकाश मणि, पूजा रानी, विशाल नरायण शर्मा, सुनीति सिंह, रुबीना खानम आदि ने अपनी रचनाओं से कलमकारों से तमाम गंभीर मुद्दों पर एकजुटता का आव्हान किया।
इन्हें मिला शिखरश्री अवार्ड
मौ. रफीक, मौ नफीस अशरफ, कुशलेंद्र चौधरी, रुपेश शर्मा, ऊषा पाल, श्याम सुंदर गुप्ता, अरुण कुमार पाल, मुरलीधर शास्त्री को शिक्षाविद् के तौर पर और समाजसेवा में आलोक वाष्र्णेय, डा. अदनान फिरोज खान, किशन गोपाल शर्मा एवं बाल नृत्यिका कु. सिद्धि वाष्र्णेय को उनके सराहनीय कार्य के लिए शिखरश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।

Updated : 19 Feb 2016 12:00 AM GMT
Next Story
Top