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फसल को संजीवनी देने के लिये एक मार्च से सप्ताह भर के लिए चलेंगी नहरें

उरई। सूखे बुंदेलखंड में जहां फसलें पानी के अभाव में सिकुड़ती जा रही हैं उनको संजीवनी देने के लिए 1 मार्च से सप्ताह भर के लिए नहरें संचालित की जाएंगी जिससे वह अपने खेतों में पानी लगा सकेें। उक्त जानकारी से अवगत कराते हुए अधिशाषी अभियंता नहर विभाग द्वितीय राकेश वर्मा ने बताया कि यह निर्णय किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है जहां पर किसान पानी के लिए मोहताज हो रहा है और अपनी सूखी फसलें देखकर वह आगे की सोच ही नहीं पा रहा है। ऐसे में नहरों का पानी उसके लिए वरदान साबित होगा। बहुत कुछ नहीं तो थोड़ा-बहुत अनाज अवश्य पैदा वह कर सकता है। वहीं बारिश न होने के कारण एक नहीं हजारों की संख्या में किसान भयभीत है। कुछ किसानों का यह भी आरोप है कि नेता दबंग से लेकर अन्य सामाजिक लोग जो कि नहरों को चलने में अनावश्यक रूप से व्यवधान पैदा करते हैं और अपने खेत में पानी लगाने के लिए वह जेसीबी मशीनों से भी खांदी करा देते हैं जिससे भारी मात्रा में पानी बेकार होकर नाली और नालों व खंतियों में चला जाता है अगर लोग ऐसा न करें और जरूरत के हिसाब से पानी लें तो निश्चित रूप से टेल तक पानी पहुंच सकता है। सरकारी नलकूप जो कि इतनी मात्रा में नहीं हैं जिनसे खेती कायदे से सिंचित हो सके और निजी नलकूपों की संख्या भी कम है। ऐसे में अस्सी प्रतिशत किसान नहर के पानी पर आधारित होकर खेती कराता है। जनपद में हमीरपुर और कुठौंद शाख निकली हुई हैं और इनसे ही कई बंबे और छोटी नहरों का संचालन होता है। यहीं से हमीरपुर और जनपद के अंतिम कोने तक पानी भेजा जाता है।
वर्षा के कारण जहां पानी के लिए हाय-तौबा मची हुई है। लेट खेती बुआई होने की वजह से खेतों की नमी सूख गई है। अब वहां पर पानी की जरूरत है। ऐसे में 1 मार्च से जो पानी किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा उससे किसान अपने खेतों को सिंचित कर सकता है। नहरों में अनावश्यक रूप से खांदी किसानों की फसलों को नुकसान भी पहुंचाती है। यही वजह है कि पहाडग़ांव क्षेत्र में अधिकांश जमीन जलमग्न हो जाती है जिसका मुख्य कारण जितनी जरूरत पानी की है उससे कई गुना अधिक भारीभरकम नहर को फाड़ दिया जाता है जिससे सैकड़ों किसानों का नुकसान होता है। पूर्व में भी यह नजारा कई बार देखने को मिला।
नहरों के किनारे बनी रोड़ों पर मंडरा रहा खतरा
उरई। नहर के किनारे जो भी रोडें बनी हुई हैं उन पर खतरा मंडरा रहा है। पानी के कटाव के कारण रोड के किनारे की मिट्टी धसक गई है जिसकी तरफ विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं जो कि अभी से खतरे का अहसास करा रही है।
जनपद में जितनी भी नहरें निकली हैं उनके किनारे रोडें बनाई गई थीं जिससे किसान व क्षेत्रीय जनता को आवागमन में सुविधा रहे परंतु वह रोडें और नहर से इस पार से उस पार जाने के लिए जो पुल आदि के निर्माण किए गए थे वह बुरी तरह से जीर्णशीर्ण स्थिति में पहुंच गए हैं अगर किसी को रोड की सही जानकारी नहीं है तो वह सुरक्षित अपने घर नहीं पहुंच सकता है। जनहित में जिला प्रशासन से मांग की जाती है कि वह नहर के किनारे बने रोड व नहर के ऊपर बने पुल के निर्माणों के लिए निर्देश दें ताकि क्षेेत्रीय लोग कम से कम अपने आपको सुरक्षित सा महसूस कर सकेें।

Updated : 18 Feb 2016 12:00 AM GMT
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