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जनता के करोड़ों रुपये कब्जे में कर पीएसीएल चिटफंड कंपनी रफूचक्कर

* डेढ़ दशक से अधिक समय से कंपनी जनपद में कर रही थी कारोबार
* अनेकों शिकायतों के बाद भी आला अधिकारी रहे मौन
* चिटफंड कंपनी भागने की जानकारी मिलते ही एजेंट भी हुये भूमिगत
उरई। जिला मुख्यालय के स्टेशन रोड स्थित चिटफंड कंपनी पीएसीएल जो जनपद में विगत डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से मध्यम वर्गीय परिवारों की मेहनत की कमाई को जमा कराने के नाम पर ज्यादा ब्याज देने का झांसा देकर करोड़ों रुपये अपने कब्जे में कर रातों रात रफूचक्कर हो गयी। जब उक्त जानकारी कंपनी के एजेंटों को पता चली तो वह सकते में आ गये। रुपये जमा करने वाले उन्हें घेरने का प्रयास न करें इसलिये वह भी भूमिगत हो गये। ताज्जुब की बात तो यह है कि ऐसी चिटफंड कंपनियां अपना रजिस्ट्रेशन कंपनियां रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में पंजीकृत होती है जिन्हें बैंकिंग कार्य करने की अनुमति नहीं होती है इसके बाद भी जनपद के आला अधिकारी सब कुछ जानते हुये भी ऐसी चिटफंड कंपनियों के कारोबार से हमेशा ही अनभिज्ञता दर्शाने से नहीं चूकते हैं।
गौरतलब हो कि उरई नगर के स्टेशन रोड पर विगत कई वर्षों से पीएसीएल चिटफंड कंपनी का कार्यालय था जहां प्रात: से लेकर देर शाम तक बाकायदा बैंकिंग कार्यों को ही अंजाम देकर भोलेभाले मेहनतकशों को कम समय में ज्यादा ब्याज दिलाने का लालच देकर उनका पैसा जमा कराया जाता था। जिले के लोगों के बीच में चिटफंड कंपनी का नाम प्रचारित करने के लिये उसके द्वारा आकर्षक कमीशन पर लगभग दो सैकड़ा से अधिक एजेंटों को भी इसी कार्य में लगा रखा था ताकि वह क्षेत्र में भ्रमण कर अधिक से अधिक लोगों का पैसा जमा करा सके और उसी हिसाब से उन्हें भी मोटा कमीशन देकर चिटफंड कंपनी संतुष्ट करती रही। चूंकि पीएसीएल चिटफंड कंपनी का रजिस्ट्रेशन कंपनियां रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) में पंजीकृत होता है जिसमें उन्हें बैंकिंग कार्य करने की अनुमति नहीं होती है। लेकिन जब से पीएसीएल चिटफंड कंपनी ने जिले में अपना कारोबार शुरू किया था तभी से वह धड़ल्ले से बैंकिंग कार्य को अंजाम देकर करोड़ों रुपये महीने में जमा कराया जा रहा था। जब जनपद में सक्रिय ऐसी चिटफंड कंपनियों की शिकायत 22 अगस्त 2014 को भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड से की गयी तो उसने कंपनी तथा उसके निदेशकों के खिलाफ एक आदेश भी पारित किया था। इसके बाद भी उक्ट चिटफंड कंपनी अपना कारोबार जिले में संचालित कर मध्यम वर्गीय परिवारों को कम समय में ज्यादा ब्याज मिलने का झांसा देकर उनका पैसा जमा कराती रही। जब बीती रात पीएसीएल चिटफंड कंपनी रात के अंधेरे में अपना बोरिया बिस्तर समेटकर भाग गयी और उसकी जानकारी प्रात: कंपनी से जुड़े कुछ एजेंटों को पता चली तो उन्होंने चिटफंड कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों के आवासों पर पहुंचकर उनकी खोजबीन शुरू की तो वह भी गायब मिले तो वह सकते में आ गये। इसी के साथ समूचे जनपद में इस बात की खबर फैल गयी कि जिले से एक और चिटफंड कंपनी पीएसीएल करोड़ों रुपये लेकर रातों रात रफूचक्कर हो गयी। इसी के साथ उक्त चिटफंड कंपनी में जिन निवेशकों ने लाखों रुपये मोटा ब्याज मिलने के लालच में जमा किया था वह भी सक्रिय हुये और अपने एजेंटों की तलाश की तो वह भी गायब मिले। हालांकि ऐसे एजेंटों के परिजन जो कुछ साल पहले तक फटे हाल नजर आते थे वह आज आलीशान भवनों में देखे जा रहे हैं। चिटफंड के एजेंटों की सेहत में भी अच्छा खासा सुधार आया जो साइकिल खरीदने की हैसियत में नहीं थे वह आज चारपहिया वाहन में फर्राटा भरते देखे जा रहे हैं। समाचार लिखे जाने तक करोड़ों रुपये लेकर भागी चिटफंड कंपनी के बारे में जिले के जिम्मेदार आला अधिकारी फिलहाल कुछ भी कहने से संकोच कर रहे थे। क्योंकि जिले में इसके अलावा भी अनेकों ऐसी चिटफंड कंपनियां अपने कार्यालयों में खुलेआम बैंंिकंग कार्य को संचालित कर रही है। यही कारण है कि हर जिम्मेदार अधिकारी अज्ञात कारणों के चलते चिटफंड कंपनियों के बारे में मौन रहना भी सही मानते हैं। तो कोतवाली पुलिस भी इस बात का इंतजार करती है कि यदि कोई व्यक्ति तहरीर देता है तो उस पर वह नामजद लोगों के विरुद्ध संबंधित धाराओं में एफआईआर तो दर्ज कर लेती है लेकिन इसके बाद में करोड़ों रुपये लेकर भागने वाले खुली हवा में चैन की सांस लेते रहते है। पूर्व के समय में जनपद से कई ऐसी चिटफंड कंपनियां रातों रात करोड़ों रुपये लेकर भागी और बाद में एफआईआर भी दर्ज करायी गयी लेकिन मामला अब तक सभी का सिफर ही रहा।

Updated : 17 Feb 2016 12:00 AM GMT
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