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प्रारंभ में ही रोका जा सकता है कैंसर: श्रीवास्तव

व्हीआईएसएम में बायोटेक्नोलॉजी विषय पर संगोष्ठी का समापन

ग्वालियर। व्हीआईएसएम ग्रुप ऑफ स्टडीज में व्हीआईएसएम के बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा 'रीसेन्ट ट्रैन्ड्स इन बायोटेक्नोलॉजी विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन रविवार को किया गया। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. ओ.पी. अग्रवाल उपस्थित थे। अध्यक्षता डॉ. फ्लोरा वैज्ञानिक डीआरडीई ने की।
दूसरे दिन की संगोष्ठी का प्रारंभ डॉ. बी.आर. श्रीवास्तव निदेशक, कैंसर हॉस्पीटल एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट के व्याख्यान से हुआ। उन्होंने 'बायोमाक्र्स इन कैंसर विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि ग्वालियर, झांसी, आगरा, मथुरा, बनारस, गोरखपुर , कलकत्ता आदि क्षेत्रों में गॉलब्लेडर के कैंसर से पीडि़त मरीजों की संख्या बहुत अधिक है। गॉलब्लेडर कैंसर से पीडि़त 80 प्रतिशत मरीजों में गॉल स्टोन भी पाया जाता है। आज हमारे पास कई ऐसे टेस्ट उपलब्ध हैं, जिनके माध्यम से यह चिन्हित किया जा सकता है कि वह व्यक्ति, जिसे गॉल ब्लेडर से संबंधित कोई बीमारी है, उसे भविष्य में गॉलब्लेडर कैंसर होने की संभावना है या नहीं। शरीर के किसी भी अंग में होने वाले कैंसर को रोग शुरू होने के कई वर्ष पहले ही रोका जा सकता है। भोपाल से आए डॉ. किशोर शेण्डे ने बायोइन फोर्मेटिक्स, बुंदेलखण्ड विवि से आए डॉ. अंकित श्रीवास्तव, डॉ. कीर्ति निगम, डॉ. रेनुका दास, प्राचार्य नर्सिंग कॉलेज कैंसर हॉस्पीटल, डॉ. आर.एम. अग्रवाल विभागाध्यक्ष बॉटनी जीवाजी विवि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार सिंह राठौर ने कहा कि आने वाले समय में भी इस प्रकार की संगोष्ठियों का आयोजन होता रहेगा। अतिथियों द्वारा पुरस्कार वितरण के साथ संगोष्ठी का समापन किया गया। इस अवसर पर संस्था की चेयरपर्सन सरोज राठौर सहित व्हीआईएसएम की प्राचार्य डॉ. प्रज्ञा सिंह, जेआईएनआर के प्राचार्य रामकृष्ण देगानी, व्हीसीई की प्राचार्य डॉ. अंजली वैद्य सहित समस्त स्टॉफ उपस्थित था।

Updated : 1 Feb 2016 12:00 AM GMT
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