Home > Archived > भोपाल त्रासदी: आज ही के दिन हजारों सो गए थे मौत की नींद

भोपाल त्रासदी: आज ही के दिन हजारों सो गए थे मौत की नींद

भोपाल त्रासदी: आज ही के दिन हजारों सो गए थे मौत की नींद
X

भोपाल, 03 दिसंबर। भोपाल गैस कांड के 32 साल बीत जाने के बावजूद प्रशासन उस हादसे में मृत लोगों का सही आंकड़ा नहीं दे सका है। तीन दिसंबर, 1984 की दरम्यानी रात को जहरीली गैस के कारण हजारों लोगों की मौत हो गई थी। हाल यह है कि सरकार की ओर से दिए मृतकों के आंकड़े को गैर सरकारी संगठन झुठलाते रहे हैं, तो इस कांड के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड के परिसर में रखे गये 350 मीट्रिक टन कचरे को भी वहां से हटाया नहीं जा सका है। गैर सरकारी संगठन जहां इस गैस कांड में 30 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने का दावा करते रहे हैं, वहीं राज्य सरकार मृतकों का आंकड़ा पांच हजार 295 बताती आई हैं।

भोपाल गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के उप सचिव का भी कहना है कि अभी तक गैस कांड के कारण मृत पांच हजार 295 व्यक्तियों के परिजन को मुआवजा दिया गया है। भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन ऐंड ऐक्शन के मुताबिक 32 साल में गैस कांड के चलते मरने वालों का आंकड़ा 30 हजार को पार कर गया है, लेकिन म.प्र. सरकार द्वारा केवल पांच हजार 295 को ही मुआवजा दिया गया है। वर्ष 2012 में जारी एक सरकारी आंकड़े के अनुसार, राज्य सरकार ने भोपाल गैस कांड को लेकर गठित मंत्री समूह से 15 हजार, 342 मृतकों के परिजनों को देने के लिए 10-10 लाख रुपये की सहायता राशि की मांग की थी। सभी प्रभावितों को मुआवजा देने की बात अपनी जगह कायम है। इस बीच कर्बाइड संयंत्र में रखे 350 मीट्रिक टन रासायनिक कचरे के कारण पर्यावरण और विशेषकर भूजल दूषित हो रहा है।

आरोप है कि सरकार इस कचरे के निपटान के लिये कोई कदम नहीं उठा पाई है। वर्ष 2004 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में जहरीली गैस कांड संघर्ष मोर्चा की ओर से दायर याचिका में गैस प्रभावित बस्तियों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे इस रासायनिक कचरे को नष्ट किए जाने की मांग की गई थी। लगभग एक दशक पहले उच्च न्यायालय ने केन्द्र एवं राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि इस जहरीले कचरे को धार जिले के पीथमपुर में इन्सीनरेटर में नष्ट कर दिया जाए। वहीं अनेक गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठनों ने यह कहकर इसका विरोध किया था कि इसे जलाने से पीथमपुर में लोगों की जान पर खतरा हो सकता है। इस कारण सरकार ने यहां से भी अपना पल्‍ला झाड़ लिया था। तब से लगातार कचरे पर राजनीति बरकरार है, लेकिन पिछले 32 साल बीत जाने के बाद भी सरकार अब तक कचरा निस्‍तारीकरण का कोई हल नहीं निकाल सकी है।

Updated : 3 Dec 2016 12:00 AM GMT
Next Story
Top