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भारतीय संस्कृति की पूंजी है दासबोध ग्रंथ

भारतीय संस्कृति की पूंजी है दासबोध ग्रंथ
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मूल मराठी ग्रंथ के हिंदी अनुवाद का लोकार्पण

ग्वालियर। भारतीय संस्कृति को जानने के लिए अगर केवल दासबोध का ही अध्ययन कर लिया जाए, तो पूरी भारतीय संस्कृति को जाना जा सकता है। दासबोध ग्रंथ भारतीय संस्कृति की पूंजी है। इसका अध्ययन हम सभी को करना चाहिए। यह बात बुधवार को दाल बाजार स्थित नाट्य मंदिर में आबा महाराज श्रीराम मंदिर के तत्वावधान एवं श्रावण मास कीर्तन सत्र दाल बाजार के सहयोग से छत्रपति शिवाजी महाराज के आध्यात्मिक गुरू राष्ट्रीय संत समर्थ सदगुरू रामदास महाराज द्वारा रचित मराठी ग्रंथ दास बोध के हिन्दी अनुवाद के लोकार्पण समारोह में परमपूज्य गोविंददेवगिरि महाराज ने मुख्य अतिथि के रूप में कही।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदेश की नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह उपस्थित थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस अवसर पर समर्थ वंशज सज्जनगढ़ बालासाहेब स्वामी विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा ग्वालियर के मानस मर्मज्ञ डॉ. मानस मनोहर दुबे द्वारा लगभग 1200 पृष्ठों के दोहा एवं चौपाई युक्त दासबोध ग्रंथ के हिंदी अनुवाद का लोकार्पण किया गया। वहीं डॉ. मानस मनोहर दुबे को अतिथियों द्वारा शॉल श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में भजन गायक अशोक श्रीवास्तव, रघुनंदन शिरगांवकर, मानसी शिरगांवकर, अर्पणा भागवत द्वारा रघुपति राघव राजा राम...,सुमिरन नाम प्रभु का कीजे भजनों की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महापौर श्री शेजवलकर ने कहा कि मराठी में लिखित दासबोध का अनुवादन डॉ. मानस मनोहर दुबे ग्वालियर द्वारा किया गया है। इस ग्रंथ के हिंदी अनुवाद से यह आम लोगों के लिए उपयोगी और सार्थक सिद्ध होगा।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि श्रीमती सिंह ने कहा कि दासबोध ग्रंथ का हिंदी अनुवाद से लोग भारत की संस्कृति को और अधिक जान सकेंगे तथा उससे प्रेरणा प्राप्त कर सकेंगे। इस अवसर पर गोपालदास महाराज, संत कृपाल सिंह महाराज, मनीष जी महाराज, संस्थान के प्रमुख समर्थ भक्त उपेन्द्र शिरगांवकर, राघवेन्द्र शिरगांवकर,माधव गणेश लिमए, माधव रत्न पारखे, किशोर घोटणकर, रविकांत राखे सहित सभी समाजों के संत एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शिक्षाविद डॉ. उमाशंकर पचौरी ने किया।

Updated : 24 Nov 2016 12:00 AM GMT
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