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दीपावली पर आठ गुना बढ़ा प्रदूषण, हवा में घुला जहर

एक्यूआई में कानपुर पहला तो आगरा देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर

आगरा। पंचदिवसीय दिपावली का उत्सव मंगलवार भाई दूज के साथ सम्पन्न हो गया। हर बार की तरह इस वर्ष भी दिवाली पर जमकर आतिशबाजी हुई, जिसका खामियाजा प्रकृति-पर्यावरण, पक्षियों और आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। दीपावली, गोवर्धन पूजा और भईया दूज की रात नगरवासियों द्वारा करोड़ों के पटाखे छोड़े गए और इन पटाखों की उपलब्धि ऐसी रही कि एअर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में आगरा देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर बन गया। यानी पर्टिकुलेट मैटर मानक से आठ गुने ज्यादा खतरनाक स्तर पर पहुंच गए। खासकर घनी आबादी वाले पुराने शहर व कॉलोनियों में हवा और ज्यादा जहरीली हो गई है।

पटाखों के आगे फेल स्वच्छता अभियान
पटाखों का शोर और जहरीला धुआं सांस के रोगियों के लिए ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि दिवाली के दिन हवा में हानिकारक कार्बन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है। एक अनुमान के मुताबिक सामान्य दिनों के मुकाबले दिवाली के दिन पांच गुना ज्यादा प्रदूषण बढ़ जाता है। दिवाली की रात प्रदूषण का ग्राफ 1200 से 1500 माइक्रो ग्राम मीटर क्यूब, अगले दिन दिन करीब 11 सौ, दूसरे दिन 8 सौ और फिर 4-5 दिन के बाद प्रदूषण 284 से 425 माइक्रो ग्राम मीटर क्यूब पर पहुंच गया। खास बात ये कि प्रधानमंत्री मोदी की महत्वकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान को जोर शोर से लागू करने के दावे के बावजूद लोगों ने दिवाली पर जमकर पटाखे छोड़े।

ताजनगरी में एक्यूआई चार सौ के पार
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक दिवाली पर पूरे 24 घंटे में कानपुर सबसे जहरीली हवा वाला शहर रहा। आगरा में दिवाली एक्यूआई 401 रहा जो गोवर्धन पूजा के दिन 384 दर्ज किया गया। ताजमहल के कारण आगरा में एयर क्वालिटी इंडेक्स को सीवियर की श्रेणी में रखा गया है, जो न केवल ताज के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि शहर के लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से भी खतरनाक है।

दिवाली पर पटाखे शुरू होते ही प्रदूषण के स्तर में जो वृद्धि हुई, वह बेहद चौंकाने वाली रही। सल्फर डाई आक्साइड 35.9 माइक्रोग्राम प्रति घनमी पर रही। इसी तरह नाइट्रोजन डाईक्साइड 56 से शुरू होकर 104 के स्तर तक पहुंच गई। कार्बन मोनोक्साइड मानक से दस गुने से ज्यादा रहा, वहीं धूल के श्वसन योग्य बेहद छोटे कण पीएम-10 मानक से 8 गुने से ज्यादा के स्तर पर पहुंच गए। रात एक बजे के बाद आतिशबाजी बंद होने पर प्रदूषण के स्तर में मामूली कमी आई।

Updated : 2 Nov 2016 12:00 AM GMT
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