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रंग कर्मियों ने नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से दिया बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश

मथुरा। बेटी बचाओ! बेटी पढ़ाओ! अभियान समाज के लिए कितना बड़ा सन्देश है यह जागृति कला संगम के कलाकारों ने स्वांगशैली और नाटक के द्वारा विकास खण्ड मथुरा एवं फरह ब्लॉकों में दस-दस ग्रामीण अंचलों में मार्मिक प्रभावी और मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षाप्रद तरीके से ग्रामीण दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

रंगकर्मी पं. लोकेन्द्रनाथ कौशिक के निर्देशन में कलाकारों ने मां-बाप द्वारा बेटी के साथ भेद भाव भरा व्यवहार माँ-दादी के द्वारा नाती की बहू के भ्रूण परिक्षण करने की कोशिश, डॉक्टरों द्वारा भ्रूण परिक्षण कर कन्या भू्रण की हत्या जैसा घिनौना जगन्य अपराध बेटा पाने की बलनती इच्छा, जो कर सकता है बेटा ही कर सकता है कि मृमित सोच ही हमें नारी जाति के शोषण कर आधार शिला को विकृत रूप में समाज में अन्याय और अत्याचार करने पर मजबूर कर देती है। आप की बेटी किसी के घर की आधार शिला है समाज को चिंतन करना ही होगा तभी घर-घर का और घर-घर की बेटी के साथ होने वाले अन्याय से छुटकारा मिलेगा। को नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को समझाया।

नाटक बेटी बचेगी तो देश बचेगा को देखने के लिए भीड़ चौपालों व स्कूलों पर जुड़ी। नाटक के बीच-बीच में बृज के लोकगीत रसियाए लांगुरिया दर्शक नाटक में खोए रहते हैं और नाटक मेें घटने वाली प्रत्येक घटना से अपने आपको जोड़ते हैं और सिहर उठते हैं। इस अवसर पर नत्थी मास्टर, मुनब्बर खां, हरिओम, रामबाबू, गुलशेर, दिनेश, चांदनी, कमलेश, सुगन्धा, भावना आदि सभी कलाकारों ने कार्यक्रम का समापन किया।

Updated : 10 Nov 2016 12:00 AM GMT
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