भारत-रूस व्यापार तीन गुना करने की योजना
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नई दिल्ली, 12 अक्टूबर। भारत और रूस वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार को तीन गुना करते हुए इसे 30 बिलियन डॉलर तक ले जाना चाहते हैं।इस लक्ष्य को पाने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं।
और इस विषय में अनेक क़दम उठाए जा रहे हैं जिनमें मुख्यतः दोहरे कराधान से बचाव के लिए समझौता और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि में संशोधन शामिल हैं। अभी दोनों देशों के बीच व्यापार 10 बिलियन डॉलर का है।
इसके अतिरिक्त भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ (ई ई यू) के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर एक संयुक्त अध्ययन दल की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया है। दोनों देशों ने फार्मास्यूटिकल्स, जवाहरात और गहने, इंजीनियरिंग उपकरण और मशीनरी, हाइड्रोकार्बन, कपड़ा और वस्त्र, कृषि और खाद्य उत्पादों जैसे क्षेत्रों में भी व्यापार बढ़ाने पर सहमति जताई है। द्विपक्षीय व्यापार में बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर दोनों देशों ने कहा है कि परिवहन मार्ग की कमी सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। इस विषय में दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।यह गलियारा भारत, रूस, ईरान और आज़रबाइजान के बीच होगा।
बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारत और रूस ने कुछ महीने पहले ही एक ग्रीन कॉरिडोर बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिससे परस्पर व्यापार में आसानी होगी। इस विषय में एक प्रायोगिक परियोजना जल्द ही शुरू की जाएगी।यह ग्रीन कॉरिडोर कुछ समय में दोनों देशों की मुख्य बंदरगाहों पर बनाया जाएगा।
भारत और ईईयू के बीच समझौते के लिए दोनों पक्ष विचार-विमर्श कर रहे हैं कि संयुक्त अध्ययन दल की रिपोर्ट के संदर्भ में कौन सी दिशा में क़दम उठाया जाए. इससे भारत और रूस के बीच और भारत और ईईयू के बीच व्यापार बढ़ने की संभावना है।
अधिकारियों ने कहा कि यह एक बहुआयामी रणनीति है जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ेगा।उन्होंने कहा, भारत ईईयू के साथ आर्थिक, व्यापार और निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएगा। सबसे महत्वपूर्ण संयुक्त अध्यन दल की रिपोर्ट है क्योंकि यह अध्यन भारत और ईईयू के सदस्य देशों ने मिलकर किया है। इस रिपोर्ट पर ईईयू विचार कर रहा है और अब उन्हें निर्णय करना है कि इस विषय में वार्ता कैसे शुरू की जाए जिससे दोनों पक्षों के बीच आर्थिक सहयोग की राह निकले।
अधिकारियों ने कहा, यह भारत और ईईयू के बीच एक व्यापक आर्थिक भागीदारी होगी। दोनों पक्ष उसके बाद ही निर्णय लेंगे कि यह भागीदारी एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) के रूप में होगी या व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (कॉम्प्रेहेंसिव इकनोमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट--सीईपीए) के रूप में।रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों विकल्पों में आर्थिक भागीदारी लाभदायक रहेगी।
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Updated : 12 Oct 2016 12:00 AM GMT
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