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पाक के नूर खान एयरबेस में हुई थी आतंकियों की ट्रेनिंग

पाक के नूर खान एयरबेस में हुई थी आतंकियों की ट्रेनिंग
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नई दिल्ली। पठानकोट एयरबेस में हुए आतंकी हमले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक आतंकियों ने पठानकोट बेस पर हमला करने से पहले पाकिस्तान के एयरबेस में कई बार मॉक ड्रिल किया था। एजेंसियों का कहना है जिस तरह से आतंकियों ने हमला किया, उससे लगता है कि उन्हें एयरबेस के बारे में अच्छी तरह से पता था।
भारतीय वायु सेना के पठानकोट बेस पर हमला करने वाले छह आतंकियों ने पाकिस्तान के रावलपिंडी में नूर खान एयरफोर्स बेस पर अटैक की ट्रेनिंग ली थी। शीर्ष खुफिया अधिकारियों के मुताबिक इन आतंकियों ने नूर खान एयरबेस में कम से कम चार बार मॉक ऑपरेशन किया था। इसके अलावा पाकिस्तान के पंजाब में बहवालपुर में भी इनकी ट्रेनिंग हुई थी।
आतंकियों को दी गई थी फिदायीन हमले की ट्रेनिंग
खुफिया एजेंसियों के उच्च सूत्रों के मुताबिक आतंकियों को फिदायीन हमले की ट्रेनिंग दी गई थी। संभवत पाकिस्तानी ऑर्मी और आईएसआई का इसमें हाथ रहा होगा। जानकारी के मुताबिक आतंकियों को एयरबेस पर कड़ी ट्रेनिंग दी गई, जिससे वह सुरक्षा के पेरीमीटर को तोड़ सके। बताया जा रहा है कि मॉक ड्रिल में आतंकियों ने चेकिंग पॉइंट्स को पार करने से लेकर पूरे एयरबेस को अपने कब्जे में लेने की ट्रेनिंग ली थी।
एयरबेस में पहले से पहुंचाए गए हथियार?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि हो सकता है आतंकियों के आने से पहले हथियार को एयरबेस में पहुंचा दिया गया हो। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि छह आतंकी इतनी भारी संख्या में हथियार नहीं ला सकते हैं। हो सकता है ऑपरेशन शुरू होने से पहले हथियार एयरबेस में पहुंचाए गए हो। आतंकियों से मिले हथियारों की जांच करने पर पता चला है कि उन्हें मॉडिफाई करने की कोशिश की गई थी। एके-47 को बदलकर मोर्टार लॉन्चर या अंडर-बैरल ग्रेनेड लॉन्चर बनाने की कोशिश की गई थी। हालांकि, इससे वे हथियार प्रभावी नहीं रह गए थे।
दवाएं खाकर हमला कर रहे थे आतंकी
रिपोर्ट्स के मुताबिक हमले के दौरान थकावट और बीमार से बचने के लिए आतंकी टैबलेट्स भी खा रहे थे। आतंकियों के शव से दवाईयां भी मिली हैं। ये दवाईयां पाकिस्तान में बनीं थीं। इन दवाओं को भारत में नहीं बनाया जाता है। आतंकियों के तीन पाकिस्तानी ट्रेनर्स की भी पहचान हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक इन्हें किसी भी हालत में गिरफ्तार होने की बजाय खुद को उड़ा लेने के सख्त निर्देश दिए गए थे।
जैश-ए-मोहम्मद पर हमले का शक
पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले से एक बार फिर स्पष्ट सा दिख रहा है कि हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद और उसके आका मौलाना मसूद अजहर का हाथ है। आतंकियों के तीन ट्रेनर की पहचान हो चुकी है। इनमें से दो जैश-ए-मोहम्मद के गुर्गे बताए जा रहे हैं। बता दें कि भारत ने वर्ष 2009 में जब संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगवाने की कोशिश की थी तो चीन अड़ गया था और भारत की कोशिश सफल नहीं हो सकी थी। प्रकट रूप से पाकिस्तान से अपनी मित्रता के चलते चीन ने ऐसा किया था।
हमले से दो दिन पहले ही हटाए गए थे ये हथियार
बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आतंकियों को खासकर पठानकोट एयरबेस पर हमले के लिए ट्रेनिंग दी गई थी. उन्हें एयरबेस में एयरक्राफ्ट की स्थिfत, पेट्रोल और हथियार रखे जाने की जगहों के बारे में स्पष्ट जानकारी थी. हालांकि हमले से ठीक दो दिन पहले ही मिसाइल और कुछ एयरक्राफ्ट को वहां से हटाया गया था.
आतंकियों के मारे जाने के बाद एयरबेस में 29 धमाके
ऑपरेशन खत्म होने में ज्यादा समय लगने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'आतंकियों को जिंदा पकड़ने की कोशिश थी. सुरक्षाबल आतंकियों को खाना, हथियार मनोवैज्ञानिक तरीके से तोड़ना चाहते थे.' उन्होंने कहा कि सेना कम से कम नुकसान चाहती थी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर आतंकी एयरबेस में रखे हथियारों तक पहुंच जाते तो फिर सेना किसी भी तरह से जान गंवाने या नुकसान की परवाह किए बिना तेजी से हमला करती. आतंकियों के मारे जाने के बाद भी सेना ने एयरबेस के अंदर 29 धमाके किए हैं.
अधिकारी ने बताया कि रिहायशी इलाका होने की वजह से ऑपरेशन में थोड़ा समय लग गया. ऑपरेशन में सेना ने कैस्पर अटैक हेलीकॉप्टर और बीएमपी का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन 2 जनवरी की सुबह करीब 3:35 बजे शुरू हुआ और सभी आतंकी 3 जनवरी को दोपहर 1:30 बजे तक मार गिराए गए थे. एनएसजी से सेना के सीनियर अधिकारी मेजर जनरल दुष्यंत सिंह ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे थे.
कोऑर्डिनेशन की कमीं नहीं थी
सुरक्षाबलों और एजेंसियों के बीच की कमी होने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'सभी जवान ट्रेंड थे लेकिन उन्हें आत्मघाती हमलावरों से निपटने की ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए थी. एयरफोर्स, आर्मी, एनएसजी और पंजाब पुलिस में पूरा सामंजस्य था, कहीं से कोई कमी नहीं छोड़ी गई.'
एयरबेस में आतंकियों ने अपनाई ये चाल
बातचीत के दौरान अधिकारी ने यह भी कहा कि पठानकोट में हमला करने वाले आतंकी 26/11 हमले के मुकाबले ज्यादा ट्रेंड थे. उनके पास हथियार ज्यादा थे लेकिन ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाए. उन्होंने कहा कि छह में से दो आतंकी एयरबेस में आने के बाद आराम कर रहे थे ताकि सेना को यह लगे कि सिर्फ चार ही आतंकी वहां हैं. और जब चारों मारे गए तब उन्होंने हमला किया. दोनों आतंकी एयरबेस में रखे सामान को नुकसान पहुंचाना चाहते थे और 3 जनवरी की सुबह फायदा उठाने की कोशिश भी की लेकिन वे फंस गए और धमाके में खुद को उड़ा लिया.
26/11 से भी काफी समानताएं
1.26/11 में भी एक आतंकी को 72 घंटों बाद खत्म किया जा सका था। पठानकोट में भी 68 घंटे बाद तक आतंकी मोर्चा संभाले हुए थे।
2. मुम्बई की तरह पठानकोट के हमलावरों ने हो सकता है कि आने के लिए पानी के रास्ते यानी पंजाब की नहरों-नदी का इस्तेमाल किया हो।
3. 26/11 और पठानकोट दोनों जगहों के हमलावरों ने गाड़ी हाइजैक कर ड्राइवरों को मारा तथा अपने गंतव्य तक पहुंचे।
4.सबसे महत्वपूर्ण समानता यह है कि दोनों हमलों के बारे में पहले से खुफिया जानकारी हासिल थी, पर इन्हें रोका नहीं जा सका।

मोदी की लाहौर यात्रा से खुश नहीं थी ISI
बी.एस.एफ.के पूर्व डायरैक्टर जनरल ई.एन. राममोहन ने कहा कि मेरा मानना है कि मोदी की पाक यात्रा से आई.एस.आई. खुश नहीं थी। इस हमले के जरिए शायद दोनों पी.एम. को बताया गया है कि वे दोनों देशों के रिश्ते के प्रोटोकॉल के उल्लंघन की कोशिश न करें। हो सकता है कि पठानकोट हमला पहले से उनकी लिस्ट में रहा हो, पर पी.एम. के लाहौर दौरे के बाद इसे आगे खिसका दिया हो।
सुरक्षा विशेषज्ञों को शक है कि पठानकोट एयरबेस में मिले भारी हथियार 6 आतंकियों के एयरबेस में आने से पहले ही वहां पहुंचा दिए गए हों। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि 6 लोग इतनी भारी संख्या में हथियार नहीं ला सकते हैं। आतंकियों के लाए गए हथियारों से पता चलता है कि उन्हें मॉडिफाई भी किया गया था। ए.के.-47 को बदलकर मोर्टार लांचर या अंडर-बैरल ग्रेनेड लांचर बनाने की कोशिश की गई थी। हालांकि इससे वे हथियार प्रभावी नहीं रह गए थे।
भारत-पाक सीमा पर 30 करोड़ की हेरोइन बरामद
जालंधर, पठानकोट हमले के बीच, पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने भारत-पाक सीमा से छह पैकेट हेरोइन, एक नोकिया मोबाइल और एक पाकिस्तानी सिम कार्ड बरामद किया है।
हिरोइन के प्रत्येक पैकेट का वजन एक एक किलोग्राम है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 30 करोड़ रुपये आंकी गई है। सीमा सुरक्षा बल के पंजाब फ्रंटियर के उप महानिरीक्षक आर.एस. कटारिया ने बुधवार को बताया कि फिरोजपुर सेक्टर के मैंदीपुर सीमा चौकी पर तैनात जवानों ने सीमा सुरक्षा घेरा के आगे तड़के कुछ तस्करों की संदिग्ध गतिविधियां देखी। तस्कर घेरा के अंदर प्लास्टिक पाइप घुसाने की कोशिश कर रहे थे। जारी बयान में कटारिया ने कहा कि मौके पर तैनात जवानों ने तस्करों को ललकारा तथा पाइप घुसाने से मना किया। इस पर उन लोगों ने जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी। बाद में आत्मरक्षा में जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की। इस बीच, तस्कर घने कोहरे का फायदा उठा कर मौके से भाग निकले। अधिकारी ने बताया कि बुधवार सुबह जब मौके की तलाशी ली गई तो वहां से छह पैकेट हेरोइन, एक नोकिया मोबाइल तथा एक पाकिस्तानी सिम कार्ड बरामद किया गया। बरामद नशीले पदार्थ के प्रत्येक पैकेट का वजन एक एक किलोग्राम है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 30 करोड़ रुपये आंकी गई है। उन्होंने बताया कि इस साल हेरोइन बरामदगी की यह पहली घटना है।

Updated : 6 Jan 2016 12:00 AM GMT
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