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मकर संक्रांति आज, लगेंगे मेले

श्रद्धालु नदी तटों पर लगाएंगे डुबकी

अशोकनगर। मकर संक्रांति का त्यौहार आज मनाया जाएगा। सूर्य मकर राशि में देर रात प्रवेश कर रहे हैं जिससे संक्रांति का पुण्य काल विशेष 15 जनवरी को होगा। इस कारण सनातन धर्मी आज शुक्रवार को ही मकर संक्रांति का त्यौहार मनाएंगे। संक्रांति का विशेष स्नानकाल शुक्रवार को सुबह से शुरू होगा जो दिनभर रहेगा। अब सूर्य उत्तरायण हो रहे हैं। पौष मास में रुके हुए मांगलिक कार्य सूर्य के उत्तरायण होते ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।
यहां लगेंगे मेले:
जिले में करीब एक दर्जन से अधिक स्थानों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। इन मेलों में आवागमन से लेकर सड़क बिजली और पानी की कोई व्यवस्था नही है। पुलिस द्वारा भी ऐसे कोई इंतजाम नही किये जाते कि सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता बनी रहे। जहां पर मेलों का आयोजन किया जाता है वहां पर सिद्ध स्थान होते हैं। प्रमुख रूप से मुंगावली तहसील में बहोरा घाट, घाटबमुरिया, सुरई सुमेर, मोलाडेम, पिपरई के पास भरका, रनछोरजी शामिल है। इसी तरह चंदेरी में राजघाट पर मेले आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा शहर के पास ऐतिहासिक क्षेत्र तूमैन में भी मेले का आयोजन किया जाता है। जबकि थूवोनजी में भी मकर संक्रांति को लेकर जैन समाज द्वारा मेला आयोजित किया जाता है। इसके साथ ही ईसागढ़ तहसील क्षेत्र के नईसरांय के पास कालाबाग पर भी मकर संक्रांति को लेकर मेले का आयोजन होता है। इन स्थानों पर इस तरह के आयोजन की परम्परा पुरानी है। जहां छोटी-छोटी दुकानों के अलावा धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के भी आयोजन होते हैं। वहीं आज भी खेल कूद प्रतियोगिताओं की परम्परा भी कायम है। जिनमें खास तौर से कबड्डी, खो-खो शामिल हैं। आधुनिकता के इस युग में कई मेलों में कबड्डी, खो-खो को छोड़कर क्रिकेट ने नया रूप ले लिया है। मेलों के संबंध में बताया गया है कि श्रद्धालु जिले के ही होते हैं। यहां बहार से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या नहीं होती है।
नदी तटों पर विशेष स्नान:
मकर संक्रांति पर आयोजित होने वाले मेलों में खास बात नदियों के तटों पर श्रद्धालुओं द्वारा स्नान कर दान पुण्य किया जाता है। तूमैन में स्थित त्रिवेणी नदी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच कर स्नान करते हैं। इसके बाद धार्मिक स्थलों पर पहुंच कर पूजा अर्चना करते हैं। इसी तरह घाट बमुरिया गांव पर कैथन नदी में भी श्रद्धालु डुबकी लगा कर धर्म लाभ लेते हैं। यहां मेले में तीन दिन तक कथा का भी आयोजन किया जाता रहा है। वहीं सुरई सुमेर पर कैथन मोला नदी के संगम तट पर भी सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु सुबह पहुंच कर पवित्र नदियों में डुबकी लगा कर पूजा अर्चना कर धर्मलाभ उठाते हैं। पिपरई के पास भरका में भी प्राचीन कुंड में श्रद्धालु पहुंच कर स्नान कर मेले का आनंद उठाते हैं।

Updated : 15 Jan 2016 12:00 AM GMT
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