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भारत-जापान रक्षा संबंधों में आने वाली है नयी मजबूती

नई दिल्ली | भारत और जापान अपने रक्षा संबंधों में एक नयी मजबूती लाने के लिए तैयार हैं। ये दोनों अक्टूबर में मालाबार नौसैन्य अभ्यासों के लिए एक-साथ अभ्यास करने वाले हैं और साझा वायु अभ्यासों की संभावनाएं तलाश रहे हैं। जापानी रक्षा सूत्रों ने रक्षा संबंधों में वृद्धि पर संतोष जाहिर करते हुए कहा, दिशा सही है। हमें इसपर और अधिक काम करने की जरूरत है। सूत्रों ने बताया, अक्टूबर में बंगाल की खाड़ी में होने वाले भारतीय-अमेरिकी नौसैन्य अभ्यास मालाबार के लिए आमंत्रित किए जाने पर जापान खुश है। उम्मीद है कि अगला कदम संयुक्त वायु अभ्यास होगा।
दोनों देश सिर्फ सैन्य बलों के स्तर पर ही सहयोग का प्रयास नहीं कर रहे। भारतीय रक्षा सूत्रों ने कहा, रक्षा निर्माण के क्षेत्र में भी बड़े अवसर मौजूद हैं। ये अवसर विशेष तौर पर मेक इन इंडिया के संदर्भ में मौजूद हैं। भारत के साथ रक्षा संबंधों को जापान द्वारा दिए जाने वाले महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जापानी दूतावास ने इस साल यहां दो और रक्षा अताशे शामिल किए हैं। इनमें से एक वायुसेना से हैं और एक तटरक्षक से।
भारत में जापान के राजदूत ताकेशी यागी ने कहा, इस समय भारत के अलावा सिर्फ चार ही देश ऐसे हैं, जहां जापान तीनों सेवाओं और तटरक्षक से अपने अताशे भेजता है। यह दर्शाता है कि हम जापान और भारत के बीच रक्षा और मरीटाइम सहयोग को कितना अधिक महत्व देते हैं। भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे के बीच जापान ने मार्च में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की यात्रा के दौरान भारत के साथ रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की मांग की थी। इसमें समुद्री सुरक्षा का क्षेत्र भी सम्मिलित किया गया था।
दक्षिण चीनी सागर में द्वीपों पर नियंत्रण को लेकर जापान और चीन के बीच संघर्ष रहा है। चीन और जापान के बीच सेंकाकू द्वीपों को लेकर भी क्षेत्रीय विवाद है। इन्हें बीजिंग दियाओयू द्वीपसमूह कहता है। भारत जापान के साथ संबंधों को बहुत महत्वपूर्ण मानता है। रक्षा मंत्री का पद संभालने के बाद पर्रिकर द्वारा यात्रा के लिए पहले देश के रूप में जापान को चुना जाना इस बात का प्रमाण है।

Updated : 26 July 2015 12:00 AM GMT
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