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भारत-किर्गिजस्तान ने आतंकवाद पर जताई चिंता, चार समझौतों पर हस्ताक्षर

भारत-किर्गिजस्तान ने आतंकवाद पर जताई चिंता, चार समझौतों पर हस्ताक्षर
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बिश्केक | विश्व भर में आतंकवाद और उग्रवाद की बढ़ती प्रवत्ति पर गहरी चिंता जताते हुए भारत और किर्गिजस्तान ने आपसी रक्षा सहयोग को बढ़ाने और वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास करने सहित चार समझौतों पर रविवार को हस्ताक्षर किए। मध्य एशिया और रूस की आठ दिवसीय यात्रा के क्रम में शनिवार रात किर्गिज़स्तान की राजधानी पंहुचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को किर्गिज नेतृत्व से बातचीत के दौरान आतंकवाद और उग्रवाद को बिना सरहदों वाला खतरा बताते हुए इससे लड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि हम दोनों अपने क्षेत्र में चुनौतियों के समय में शांतिपूर्ण और सुरक्षित पड़ोस को सुनिश्चित करने की कामना करते हैं। आतंकवाद तथा उग्रवाद से लडने में हमारे साझा हित हैं क्योंकि ये बिना सरहदों वाला एक बड़ा खतरा बन गया है। किर्गिज राष्ट्रपति अल्माज़बेक अतामबायेव के साथ वार्ता के बाद चार समझौतों पर हस्ताक्षर करने के पश्चात दिये अपने बयान में मोदी ने यह बात कही।
मोदी और अतामबायेव के बीच वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने क्षेत्र और पूरे विश्व में उग्रवाद, कट्टरवाद और आतंकवाद की बढ़ती प्रवृत्ति पर गहरी चिंता जताई। इसमें कहा गया कि भारत ने किर्गिज सरकार द्वारा आतंकवाद से लड़ने और किर्गिज समाज का धर्मनिरपेक्ष चरित्र बनाए रखने की सराहना की। बयान में कहा गया, दोनों पक्ष अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और अन्य अपराधों के खिलाफ समझौतों में तेजी लाने पर सहमत हुए।
दोनों देशों के बीच हुए चार समझौतों में रक्षा सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल है। दोनों देशों के चुनाव आयोगों के बीच और आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने में मददगार बनने के लिए मानक स्थापित करने के विषय में सहयोग पर दो सहमति पत्रों पर भी हस्ताक्षर किये गए।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इस क्षेत्र के पांच देशों की उनकी यात्रा इस बात को दर्शाती है कि भारत मध्य एशिया के साथ नये स्तर के संबंधों को कितना महत्व देता है। किर्गिजस्तान इस परिकल्पना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। किर्गिजस्तान के साथ द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के मजबूत होने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त सैन्य अभ्यास खंजर 2015 हाल ही में सम्पन्न हुआ है।
उन्होंने कहा कि हमने वार्षिक आधार पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करने का निर्णय किया है। मोदी ने कहा कि रक्षा सहयोग पर नया समझौता हमारे द्विपक्षीय संबंधों के ढांचे को और व्यापक बनायेगा जिसमें रक्षा प्रौद्योगिकी भी शामिल है। दोनों देशों के बीच हुए रक्षा समझौते का उद्देश्य रक्षा, सुरक्षा, सैन्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा बनाना है।
इसके तहत अन्य बातों के अलावा संयुक्त सैन्य अभ्यास, अनुभवों एवं सूचनाओं का आदान-प्रदान और सैन्य पर्यवेक्षकों तथा इंस्ट्रक्टरों का आदान-प्रदान शामिल है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संभावित विस्तार में स्थायी सदस्यता की भारत की उम्मीदवारी का मजबूत समर्थन करने के लिए मोदी ने किर्गिजस्तान का धन्यवाद किया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों को शीघ्र पूरा करने के लिए आतमबायेव का समर्थन मांगा।
सैन्य सहयोग के संदर्भ में मोदी ने कहा कि किर्गिज सैन्य अकादमी का आईटी केंद्र दोनों देशों के बीच नवोन्मेषी सहयोग का एक उदाहरण है, जो दोनों देशों के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के प्रति किर्गिज़स्तान की प्रतिबद्धता वास्तव में सराहनीय है। मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र में भारत अपने अनुभवों को किर्गिज़स्तान के साथ बांटने में खुशी अनुभव करेगा।

Updated : 12 July 2015 12:00 AM GMT
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