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हमारी संस्कृति ऋ षि मुनियों की देन: शर्मा

ग्वालियर | हमारे ऋषि मुनियों ने धर्म की व्याख्या अपने-अपने स्तर पर समय-समय पर की परन्तु सम्पूर्ण धर्म की व्याख्या नही ंहो पाई क्योंकि धर्म बहुत व्यापक है। माता-पिता शिक्षक व्यक्ति के अनुसार धर्म कर्म तथा सेवा के आधार पर व्यक्त करते हैं। धर्म आचरण में रखते हैं। यह बात विश्व हिन्दू परिषद के आयाम धर्म प्रसार विभाग की तीन दिवसीय चिन्तन वर्ग शिविर के द्वितीय दिन मुख्य अतिथि के रूप में विहिप धर्मप्रसार के केन्द्रीय मंत्री धर्मनारायण शर्मा ने कही। इस अवसर पर स्वामी तेजोमयानंद जी महाराज बैंलूट मठ कोलकता रामकृष्ण आश्रम, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गिरधारी लाल भीकानी, विहिप प्रांत संगठन मंत्री ब्रजकिशोर भार्गव, प्रांत सहमंत्री पप्पू वर्मा मंचासीन थे।
शिविर में उपस्थित विहिप कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि आध्यात्मिक और भौतिक से भी धर्म निकलकर आता है। व्यक्ति के स्वभाव का नाम धर्म है अर्थात जिन बौद्धिक व विचारो ंका अनुसरण करते हंै वह उसका धर्म है। धर्म प्रसार राष्ट्र धर्म का कार्य करता है और धर्मान्तरण रोकना घर वापसी कराना है। शिविर को संबोधित करते हुए स्वामी तेजोमयानंद जी महाराज ने भी कहा कि धर्म का मूल रूप वैद्य ह,ै शास्त्र हमें दृष्टि देते है। विहिप प्रांत संगठन मंत्री ब्रजकिशोर भार्गव ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय धर्मप्रसार प्रमुख जोगराजधर द्विवेदी, प्रांत सहप्रमुख जगमोहन लाल शर्मा, उदयभान रजक, प्रवीण प्रजापति, नारायण प्रजापति, कैलाश कन्वजिया, वीरेन्द्र विटवई, हरनाम सिंह राणा, ब्रहमजीत कुशवाह, अवधेश शर्मा, मरीष राठौर आदि उपस्थित थे।

Updated : 14 Jun 2015 12:00 AM GMT
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