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रतनगढ़ माता के मंदिर में होगा देश का सबसे ज्यादा वजनी घंटा स्थापित

रतनगढ़ माता के मंदिर में होगा देश का सबसे ज्यादा वजनी घंटा स्थापित
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ग्वालियर। ग्वालियर संभाग के खाते में एक और उपलब्धि जुडऩे वाली हैं। दतिया जिले में स्थित रतनगढ़ माता के मंदिर में देश का सबसे ज्यादा वजनी घंटा स्थापित होने वाले है जिसे प्रसिद्ध मूर्तिकार प्रभात राय द्वारा तैयार किया जा रहा है। निर्माण का वस्तुस्थिति जानने संभाग आयुक्त के के खरे ने आईटी पार्क के समीप स्थित प्रभातराय के स्टूडियो का दौरा किया।
संभाग आयुक्त ने बताया कि मप्र, उप्र सहित अन्य समीपवर्ती राज्यों के श्रद्धालुओं के लिये आस्था का केन्द्र रतनगढ़ माता मंदिर में लगभग सवा करोड़ रूपये की लागत से विकास कार्य कराये जा रहे हैं । श्रद्धालुओं की सुविधा एवं मंदिर परिसर को आकर्षक बनाने के लिये वास्तुविद् की सलाह को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि चूंकि मंदिर परिसर में विभिन्न विकास कार्यों के लिये स्थान तय करने के बाद भी कुछ स्थान बच रहा था इसके चलते ट्रस्ट के सदस्यों एवं वास्तुविदों की सहमति से इस खाली स्थान पर श्रद्धालुओं की भावनाओं के अनुरूप घंटा स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। रतनगढ़ माता मंदिर में यह विशाल घंटा मजबूती का पूरा ध्यान रखकर स्थापित होगा। इसमें मूर्तिकार प्रभातराय , सिविल इंजीनियर एवं वास्तुविद का मार्गदर्शन लिया जा रहा है।
1650 किलो से अधिक वजनी होगा घंटा
संभागायुक्त ने बताया कि घंटा 1650 किलोग्राम से अधिक वजनी होगा। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण भारत के एक मंदिर में लगभग 1551 किलोग्राम का घंटा स्थापित है। ऐसे में ग्वालियर में तैयार हो रहा यह घंटा अब तक का सबसे बड़ा घंटा होगा। उन्होंने बताया कि इस घंटे के निर्माण में खास बात यह है कि इसमें श्रद्धालुओं ,भक्तजनों का अंश व आस्थायें शामिल की गई हैं, जो इस मंदिर में पहले छोटे-छोटे घंटे चढ़ा कर गये हैं । रतनगढ़ माता मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में जमा हो गये घंटों से ही इस विशाल घंटे को तैयार कराया जा रहा है जबकि पहले इन छोटे घंटो को नीलाम कर दिया जाता था ।
टिन से निकलेगी मीठी धुन
विशालकाय धार्मिक घंटे को गढ़ रहे प्रभातराय ने बताया कि इसमें 55 प्रतिशत से अधिक तांबा और 35 प्रतिशत के लगभग जिंक उपयोग में लाया जा रहा है । साथ ही 18 से 20 प्रतिशत टिन धातु का भी इस्तेमाल होगा । टिन का उपयोग मधुर धुन पैदा करने के लिये किया जा रहा है।

Updated : 27 May 2015 12:00 AM GMT
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