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भारत में कैंसर से हर रोज 1300 की मौत

भारत में कैंसर से हर रोज 1300 की मौत
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नई दिल्ली | देश में प्रतिदिन 1300 से अधिक व्यक्तियों की जान कैंसर रोग के कारण हो जाते है। भारत में आए दिन संक्रमण और जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मृत्यु का एक बड़ा कारण टीबी के बाद कैंसर रोग से पीड़ित व्यक्तियों की मृत्यु का कारण बन गई है।एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'वर्ष 2014 में भारत में कैंसर के कारण करीब 5 लाख लोगों की मृत्यु हो गई है।' आंकड़ों के अनुसार कैंसर के 28,20,179 मामलों में से 4,91,598 रोग से पीड़ितों लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं। वर्ष 2012 में 4,65,169 लोगों ने कैंसर के कारण अपनी जान गंवाई जबकि इस बीमारी के 30,16,628 मामले दर्ज हुए।गौरतलब है कि, कैंसर के जोखिम के अधिकांश कारक पर्यावरण या प्रकृति में जीवन शैली से सम्बंधित हैं, संशोधित किये जाने योग्य कैंसर के जोखिम कारकों के उदाहरण हैं एल्कोहल का उपभोग, (जो मुख, ग्रसनी, स्तन के और अन्य प्रकार के कैंसरों के जोखिम के बढ़ने से सम्बंधित है), धुम्रपान (हालांकि 10% पुरुषों की तुलना में फुफ्फुस के कैंसर से युक्त 20% महिलाएं ऎसी होती हैं जिन्होंने कभी भी धुम्रपान नहीं किया होता है। हर साल पूरी दुनिया में कम से कम 200,000 लोगों की मृत्यु अपने कार्यस्थल से सम्बंधित कैंसर के कारण होती है।कई मिलियन श्रमिक ऐसे हैं जिनमें अपने कार्य स्थल पर निरंतर एस्बेस्टस फाइबर और तम्बाकू के धुएँ के संपर्क में रहने के कारण फुफ्फुस कैंसर और मिजोथेलीओमा की तरह के कैंसर के विकसित होने का ख़तरा होता है या निरंतरबेंजीन के संपर्क में रहने के कारण रक्त कैंसर (ल्यूकेमिया) का ख़तरा रहता है। व्यवसायिक जोखिम कारकों की कारण से होने वाले कैंसर के कारण होने वाली मौतें अधिकांशतया विकसित विश्व में होती हैं।स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के मुताबिक, 'उम्रदराज हो रही एक बड़ी आबादी, खराब जीवन शैली, तंबाकू का सेवन और बीमारी की समय पर पहचान कर पाने की औद्षोधियों के सुविधाओं का अभाव होने से कैंसर से होने वाली मौत के मामले बढ़े हैं।' टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में तपेदिक मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह है। साल 2011 में 63,265 साल 2012 में 61,887 और साल 2013 में 57,095 लोगों की तपेदिक ने जान ली।

Updated : 17 May 2015 12:00 AM GMT
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