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भूमि अध्यादेश पुन: जारी करने के खिलाफ सोमवार को सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

भूमि अध्यादेश पुन: जारी करने के खिलाफ सोमवार को सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय
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नई दिल्ली | उच्चतम न्यायालय किसानों के संगठनों की उस याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है, जिसमें इन संगठनों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पुन: जारी किए जाने की वैधता का चुनौती दी है।
किसानों के संगठनों की ओर से पैरवी करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह द्वारा याचिका पर तुरंत सुनवाई के लिए कहे जाने पर प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की पीठ ने कहा, हम इसपर सोमवार को सुनवाई करेंगे। कल दायर याचिका में किसान संगठनों ने भूमि अध्यादेश को फिर से लागू किए जाने को असंवैधानिक और अधिकार क्षेत्र से परे का बताते हुए इसे चुनौती दी। इसके साथ ही उन्होंने इसे कार्यपालिका द्वारा विधायिका की कानून बनाने की शक्तियों को छीनते हुए सत्ता के बेजा इस्तेमाल की संज्ञा दी।
भारतीय किसान यूनियन, ग्राम सेवा समिति, दिल्ली ग्रामीण समाज समेत कई संगठनों की ओर से दायर इस याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह सरकार को भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास में उचित मुआवजे और पारदिर्शता के अधिकार (संशोधित) अध्यादेश, 2015 पर आगे बढ़ने से रोके।
किसानों के संगठनों ने कहा कि सरकार द्वारा संसद की विधायी प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए एक के बाद एक अध्यादेश लागू करना न सिर्फ मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है बल्कि यह संविधान के साथ खिलवाड़ भी है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश को पुन: जारी करने का सरकार का कदम दुर्भावपूर्ण है और इसलिए इसे चुनौती दी जा सकती है।
इस याचिका में कहा गया कि सरकार ने जानबूक्षकर वर्ष 2015 के विधेयक के 10 से 20 मार्च के बीच लोकसभा में पारित हो जाने के बाद इसे राज्यसभा में चर्चा के लिए नहीं रखा। उसने ऐसा संख्याबल, राजनीतिक इच्छाशक्ति और आम सहमति में कमी के कारण किया। इस याचिका में विधि एवं न्याय मंत्रालय, संसदीय मामलों के मंत्रालय, गृह मंत्रालयय, ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं केबिनेट सचिवालय को पक्ष बनाया है।
इस याचिका में अध्यादेशों को पुन: जारी किए जाने के इस काम को कार्यपालिका की ओर से सत्ता का बेजा इस्तेमाल बताया गया है और कहा गया है कि एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता पर कार्यपालिका द्वारा बनाए गए कानूनों के जरिए शासन नहीं किया जा सकता।

Updated : 10 April 2015 12:00 AM GMT
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