Home > Archived > पार्क में घुमाया, वोटिंग कराई और हो गई प्रकृति से पहचान

पार्क में घुमाया, वोटिंग कराई और हो गई प्रकृति से पहचान

ग्वालियर। स्कूली बच्चों को दो बसों से तिघरा ले जाया गया, जहां ईको पार्क में घुमाया गया। वोटिंग में बैठाकर तिघरा में जल की सैर कराई गई। प्रकृति से जुड़े कुछ प्रश्न पूछे गए। अंत में सभी बच्चों को लजीज भोजन कराया गया। इस तरह वन विभाग ने बच्चों का प्रकृति से परिचय करा दिया। वन विभाग के लोग ही इस पर चुटकी लेते हुए यह कहने से नहीं चूक रहे कि यह सब विभाग के बजट को ठिकाने लगाने और आपस में बंदरबांट करने का तरीका है।
जानकारी के अनुसार म.प्र. यूको पर्यटन बोर्ड ने स्कूली बच्चों को प्रकृति से जोडऩे के लिए 'प्रकृति से परिचय योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत स्कूली बच्चों को समय-समय पर वन क्षेत्रों का भ्रमण कराया जाना है। इसी के तहत वन विभाग द्वारा बुधवार को पूर्वान्ह 11 बजे कक्षा छह से दसवीं तक के शहर के विभिन्न स्कूलों के करीब 90 बच्चों को एक बस में बैठाकर पर्यटन स्थल तिघरा ले जाया गया, जहां बच्चों को वन विभाग की ईको पार्क की सैर कराई गई। इसके बाद बारी-बारी से बच्चों को वोटिंग में बैठाकर करीब एक कि.मी. तक जल की सैर भी कराई गई। शाम करीब चार बजे तक चले इस 'अनुभूति शिविर के बीच बच्चों को कुछ देर के लिए धार्मिक स्थल देवखो भी ले जाया गया। इसके बाद शुरू हुई 'प्रकृति को पहचानो प्रतियोगिता, जिसमें बच्चों से प्रकृति से जुड़े कुछ प्रश्न पूछे गए। अंत में बच्चों को लजीज भोजन कराने के साथ पुरस्कार के रूप में पेन-पेंसिल, कॉपी आदि देकर उन्हें अपने-अपने घर के लिए विदा कर दिया गया। इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक राजेश कुमार, वन संरक्षक विक्रम सिंह परिहार एवं सोन चिरैया अभयारण्य अधीक्षक प्रकाश श्रीवास्तव एवं ज्यूलोजीकल एज्युकेशन फाउण्डेशन के आशुतोश पाण्डेय के अलावा वन विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
यह तो सरकारी धन का दुरुपयोग है
वन विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि बच्चों को प्रकृति से जोडऩे के नाम पर आज जो भी गतिविधि हुई, वह सरकारी धन का सरासर दुरुपयोग है। उक्त अधिकारी का कहना था कि 'प्रकृति से परिचय योजना अच्छी है, जिसका उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के बच्चों का प्रकृति से परिचय कराना है। इसके तहत बच्चों को पार्क और तिघरा जलाशय की सैर कराने की वजाय सीधे जंगल में उन स्थानों पर ले जाना चाहिए था, जहां विविध प्रकार के पेड़-पौधे, वनस्पति और वन्यजीवों का रहवास है, जहां बच्चों को इन सबके बारे में विस्तार से जानकारी दी जाना चाहिए थी। इसके अलावा इस योजना से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को वंचित रखा गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे प्रकृति के ज्यादा करीब होते हैं, जिन्हें प्रकृति से जोडऩे में आसानी होगी और भविष्य में ग्रामीण बच्चे वनों और वन्यजीवों के संरक्षण व संवर्धन में बड़ी भूमिका भी निभा सकते हैं।

Updated : 24 Dec 2015 12:00 AM GMT
Next Story
Top