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दो घंटे खुलने के बाद,एक बजे बंद हो जाता है

विद्यालयशिक्षकों सहित प्रधानाध्यापक भी निकल जाते हैं घर
कराहल। आदिवासी विकासखण्ड कराहल में संचालित शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय इन दिनों विद्यालय न होकर धर्मशाला बन गया है जहां अब शिक्षकों और प्रधानाध्यापक की मनमर्जी के मुताबिक विद्यालय खुलता है और बंद हो जाता है। जिले की कराहल तहसील को उत्कृष्ट विद्यालयों की सौगात मिलने के बाद क्षेत्र में लोगों को आस जगी थी कि अब उनके बच्चों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए उधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा क्योंकि उत्कृष्ट विद्यालय में वे सभी सुविधाऐं बच्चों को मिलती है जो अच्छे निजी विद्यालयों में संचालित हो रही है। लेकिन उत्कृष्ट विद्यालय के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों की मनमर्जी के चलते विद्यालय खुलने के दो घंटे बाद ही बंद कर दिया जाता है जिसका खामियाजा यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ता है।
कराहल में संचालित उत्कृष्ट विद्यालय प्रात: 11 बजे से संचालित होता है जिसमें सैंकड़ों छात्र-छात्राऐं अध्ययन के लिए आते है लेकिन 11 बजे खुलने के पश्चात यहां केवल कुछ समय ही बच्चों को क्लास में बैठाया जाता है बाकी फिर विद्यालय के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों पर निर्भर करता है कि कब विद्यालय बंद करना है, ऐसा एक-दो दिन नहीं बल्कि आए दिन हो रहा है जब विद्यालय को एक बजे ही बंद कर गेट पर ताला लगा दिया जाता है। उत्कृष्ट विद्यालय के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों की मनमर्जी के चल रहा विद्यालय केवल धर्मशाला बनकर रह गया है जो चाहे जब बंद कर दी जाती है और चाहे जब खोल दी जाती है।
छात्र-छात्राओं को होगा नुकसान
उत्कृष्ट विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का विद्यालय में पढ़ाई नहीं होने और समय से पहले बंद हो जाने के कारण काफी नुकसान हो रहा है। आगामी माह में बोर्ड की परीक्षाऐं छात्र-छात्राओं के सामने आ रही है लेकिन विद्यालय के कर्ताधर्ताओं की लापरवाही के कारण बच्चों को इसका खामियाजा झेलना पड़ सकता है। वैसे भी यदि देखा जाए तो क्षेत्र में शैक्षणिक सुधार होने के स्थान पर शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
घर पर ट्यूशन पढ़ा रहे हैं शिक्षक
उत्कृष्ट विद्यालय में पदस्थ कई शिक्षक अपने-अपने घरों पर कोचिंग संचालित किए हैं। उत्कृष्ट विद्यालय के छात्र-छात्राओं के अवाला अन्य विद्यालयों के विद्यार्थियों को कोचिंग में पढ़ाने के लिए इन शिक्षकों को विद्यालय से जल्दी भागना पड़ता है जिसके चलते विद्यालय में पदस्थ शिक्षक विद्यालय को जल्दी से बंद करवाकर अपने-अपने घरों पर निकल जाते हैं। कहना है
उत्कृष्ट विद्यालय के हालात दयनीय बने हुए है। हमारे बच्चे विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए समय पर जाते है लेकिन समय पर वापस आने के बजाय समय से पूर्व ही आ जाते है, क्योंकि विद्यालय को समय से पहले ही बंद कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चों की शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, जो उनके उज्ज्वल भविष्य में बाधा उत्पन्न करेगा।
संतोष सेन, अभिभावक कराहल
आदिवासी विकासखण्ड कराहल को जब उत्कृष्ट विद्यालय की सौगात मिली थी तब यहां के निवासियों में काफी उत्साह का माहौल बन गया था क्योंकि अब उनके बच्चों को उत्कृष्ट विद्यालय में अन्य उच्च विद्यालयों की भांती ही शिक्षा प्राप्त होगी, लेकिन कराहल में संचालित हो रहे इस विद्यालय के हालात गंभीर हैं। हमारे भी भाई-बहन विद्यालय में पढ़ते हैं लेकिन समय से पूर्व विद्यालय बंद होने के कारण उन्हें कैसी शिक्षा प्राप्त होगी, यह जगजाहिर है।
देवेन्द्र शर्मा, कराहल निवासी
आए दिन हमे देखने को मिलता है कि उत्कृष्ट विद्यालय कुछ समय खुलने के बाद बंद हो जाता है। यदि समय से पूर्व ही बंद हो जाएंगे तो वहां कैसे बच्चों को शिक्षा मिल सकती है। आने वाले समय में बच्चों के सिर पर बोर्ड परीक्षाओं का भी भार है, यदि विद्यालय के हालात यही बने रहे तो इस वर्ष परीक्षा-परिणाम गिर सकता है।
नितिन पाठक, निवासी कराहल

Updated : 24 Dec 2015 12:00 AM GMT
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