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राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल पास

राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल पास
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अब जघन्य अपराधों में नाबालिग की उम्र सीमा होगी 16 साल

नई दिल्ली| आख‍िरकार राज्यसभा में मंगलवार को दिनभर चली बहस के शाम को जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हो ही गया. इसके साथ ही किशोर अपराधों की उम्र सीमा 18 से घटाकर 16 साल कर दी गई.
अध‍िकतम सजा 10 साल होगी
इस बिल के पास होने का सीधा मतलब यह है कि अब 16 साल तक की उम्र में भी जघन्य अपराध करने पर आरोपी पर बालिग की तरह केस चल सकेगा और 10 साल की अध‍िकतम सजा होगी.
सीपीएम सांसदों ने किया वॉकआउट
मंगलवार को राज्यसभा में इस बिल को महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पेश किया था और यह बिना किसी संसोधन के पास हुआ. हालांकि सीपीएम सांसदों ने वोटिंग से पहले ही सदन से वॉकआउट किया. वोटिंग से पहले सीपीआई के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि कानून निर्माताओं के तौर पर हमें भावनाओं में आकर फैसला नहीं लेना चाहिए. बिल को पास कराने की जगह इसे सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए. लेकिन राज्यसभा के उपसभापति ने उनकी मांग को तत्काल खारिज कर दिया. येचुरी ने कहा कि निर्भया के दोषी नाबालिग को फिर से सजा नहीं दी जा सकती. अगर 14 साल के नाबालिग ने ऐसा कोई घृणित कार्य किया तो क्या हम फिर उम्र सीमा घटाकर 14 कर देंगे.
जानिए क्या है जुवेनाइल जस्टिस बिल
मुझे तसल्ली है पर दुख भी: निर्भया की मां
इस बिल के पास होने पर निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, 'मुझे तसल्ली है पर दुख भी कि निर्भया को न्याय नहीं मिला. निर्भया के माता-पिता और सैंकड़ों लोग इस बिल को पास करने और नाबालिग दोषी को रिहा ना करने के लिए लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
निर्भया के माता-पिता भी रहे सदन में मौजूद
निर्भया के माता-पिता भी इस बिल पर बहस के दौरान राज्यसभा में मौजूद रहे. इससे पहले वे संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से भी मिले थे. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि अब यह बिल संसद से पास हो जाएगा. निर्भया की मां पहले ही कह चुकी हैं कि अब उनकी लड़ाई कानून बदलवाने की है.
नए बिल की जरूरत क्यों?
संसद में बिल पेश करते हुए सरकार ने कहा कि मौजूदा कानून की वजह से जुवेनाइल अपराधियों के कई मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं. देशभर में लंबी चली बहस के बाद इस बात की मांग उठी कि जुवेनाइल अपराधियों की उम्र 18 से कम करके 16 की जाए. नए जुवेनाइल जस्टिस बिल में प्रावधान है कि रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराध करने वाले 16 साल के अपराधियों पर वयस्कों की तरह मामला चलाया जाए. ऐसा पाया गया कि जुवेनाइल जस्टिस कानून 2000 में कुछ प्रक्रियागत और कार्यान्वयन के लिहाज से खामियां थीं. वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक उन अपराधों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा था जिनमें शामिल लोगों की उम्र 16 से 18 साल के आसपास थी. एनसीआरबी का डेटा यह बताने के लिए काफी था कि 2003 से 2013 के बीच ऐसे अपराध में इजाफा हुआ है. इस दौरान 16 से 18 साल के बीच के अपराधियों की संख्या 54 फीसदी से बढ़कर 66 फीसदी हो गई.
2014 में नाबालिगों के खिलाफ दर्ज हुए 38,565 केस
नाबालिग की उम्र बदलने की कितनी जरूरत है, यह इसी से पता चलता है कि 2014 में नाबालिगों के खिलाफ देशभर में 38,565 केस दर्ज हुए है. यह जानकारी गृह राज्यमंत्री ने लोकसभा में दी. इनमें भी 56 फीसदी मामले उन नाबालिगों के खिलाफ दर्ज किए गए जिनके परिवार की मासिक आय 25 हजार रुपये तक है.
जनता के दबाव से संभव हो पाया: नायडू
संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, 'यह बिल राज्यसभा में पास हो गया. लोग इससे खुश हैं और मैं संतुष्ट हूं.' नायडू ने कहा, 'अगर खुलकर बोलूं तो जनता के दबाव और लोगों के मूड की वजह से ही आज राज्यसभा में बिल पर चर्चा हो पाई.'
हम बिल पास कराने में आगे रहे: डेरेक ओ ब्रायन
तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'हम खुश है कि बिल पास हो गया. इस बात की भी खुशी है कि बिल पास कराने में तृणमूल कांग्रेस ने नेतृत्व किया.' सूचना प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि खुशी है कि देर से ही सही, लेकिन बिल पास हो गया.
न्याय की लड़ाई में बढ़ाया कदम: मालिवाल
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने कहा, 'मैं देश की सभी निर्भयाओं को बधाई देना चाहती हूं कि इससे हम न्याय की तरफ एक कदम आगे बढ़ा पाए. देर से सही, आखिरकार ये हो गया. हम इसका स्वागत करते हैं.'

Updated : 22 Dec 2015 12:00 AM GMT
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