आप व्हीआईपी हैं तो साक्ष्य बताइए
रेलवे स्टेशन पर अजीब स्थिति से गुजर रहे हैं व्हीआईपी
ग्वालियर। आप व्हीआईपी हैं तो परिचय दीजिए। यह बात आप से पूछी जा सकती है। यदि आप रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक पर स्थित व्हीआईपी रूम में बैठने का मन बना रहे हैं तो आपको अपने व्हीआईपी होने के साक्ष्य बताना होंगे, नहीं तो आपको रूम में बैठने की इजाजत नहीं मिलेगी। हालांकि यह बात सुनने के बाद मुहंबाद भी होता है, लेकिन स्टेशन प्रबंधन के पास व्हीआईपी कौन है? इसकी कोई सूची न होने के कारण दो-चार बातें सुननी भी पड़ती हैं। हालांकि मण्डल से कई बार इसके लिए आग्रह किया जा चुका है कि आप व्हीआईपी रूम में बैठने वालों की सूची दें, लेकिन मंडल के अधिकारी इस बात पर गौर नहीं कर रहे। इस कारण दिन में व्हीआईपी रूम में ताला जड़ दिया जाता है। जब कोई अपने को व्हीआईपी बताता है तो पहले उससे साक्ष्य देने को कहा जाता है। जब वह व्हीआईपी होने के साक्ष्य दिखा देता है तो उसे बैठने की इजाजत दे दी जाती है, लेकिन इस दौरान कभी-कभी जो व्यक्ति अपने आपको व्हीआईपी बताता है, वह अक्सर अधिकारियों से उलझ जाता है। ऐसे में वह सीधे शिकायत करने के लिए शिकायत बुक की मांग करता है। उधर स्टाफ की कमी के चलते रूम में कौन बैठ रहा है कौन नहीं? इस बात की भी जानकारी नहीं होती है, जिससे रूम में बैठने वाले व्हीआईपी के सुरक्षा का भी खतरा बना रहता है।
सज्ज्न आए, बैठे और चले गए
रेलवे प्रबंधन का कहना है कि रूम खुला होता है तो कोई भी उसमें प्रवेश कर जाता है। उन्होंने बताया कि एक सज्जन आए, रूम में ठाठ से बैठे और आधा घण्टे बाद चले गए। जब उनके टिकट की जांच की तो स्लीपर कोच का टिकट था और वह एक निजी कंपनी में सेल्स मैनेजर थे। ऐसे में प्रश्न उठता है कि इसी तरह कहीं कोई आतंकी या फिर कोई बदमाश आकर बैठ जाए और कुछ संदिग्ध वस्तु छोड़कर निकल जाए तो होने वाले हादसे के लिए जिम्मेदार कौन होगा।
आईआरसीटी को दे सकते हैं रूम
सूत्र बताते हैं कि इस विवाद से बचने के लिए रेलवे आईआरसीटीसी को व्हीआईपी रूम को ठेके पर देने का मन बना रही है। इससे जहां विवाद से बचा जा सकेगा वहीं रूम के रखरखाव पर होने वाले खर्चे से भी निजात मिलेगी। साथ ही रेलवे को राजस्व की प्राप्ति भी होगी। इस तरह रेलवे एक पंत दो काज के तौर पर काम करना चाहती है।