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भागवत कथा के श्रोताओं पर नहीं होता है कलयुग का असर

दंदरौआ धाम में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा
भिण्ड। दंदरौआ धाम में चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा व्यास राजेन्द्रदास महाराज ने कलयुग के प्रारंभ और प्रभाव का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जब मनुष्य श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण नहीं करता तो उस मनुष्य के जीवन पर कलयुग का प्रभाव रहता है। लेकिन जो लोग श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करते हैं उन पर इसका असर नहीं होता है।
जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल दंदरौआ धाम में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरु महाराज श्री 1008 पुरुषोत्तम दासजी महाराज (महंत बाबा) का 19वां श्री सिय-पिय मिलन समारोह महोत्सव का आयोजन हो रहा है। जिसके आयोजक श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत श्री रामदासजी महाराज, व्यवस्थापक श्री 108 महंत राधिकादास जी महाराज बृन्दावन धाम, यज्ञाचार्य आचार्य पं. रामस्वरूप शास्त्री, कथा पारीक्षित जयसिंह राजावत हैं। यह आयोजन आठ दिसंबर तक चलेगा।
नौ दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा में राजेन्द्र दास महाराज ने कहा कि जब मनुष्य श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करता है तो उस मनुष्य का जीवन कलयुग से प्रभावित नहीं होता है, श्रीमद् भागवत कथा की चर्चा मनुष्य को करनी चाहिए, इससें उनकी वाणी में शुद्धता रहती है जो व्यक्ति संतों से जुड़े हुए रहते है वह कितने भी विद्वान हों हमेशा सरल रहते हैं। क्योंकि संतों के साथ जुड़े रहने से मनुष्य सरल हो जाता है संत हमेशा सरल भाव के होते हैं। सत्य ही नारायण है सत्य ही ज्ञान है सत्य ही राम है। क्योंकि सत्य से बढ़कर जीवन में कोई वस्तु नहीं है। सत्य की राह पर ही मनुष्य को चलना चाहिए शरीर संसार के प्रति जिस मनुष्य की आशक्ति मिट चुकी है उसे विरक्त कहते हैं वह भेष के साथ-साथ स्वभाव से भी विरक्त हो जाता है। मनुष्य को यह भाव रखना चाहिए कि मैं केवल भगवान का ही शेष हूं मनुष्य में पंच संस्कार संपन्न होना चाहिए।

Updated : 2 Dec 2015 12:00 AM GMT
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