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मुआवजे की आस लिए भटक रहे है किसान

गुना। प्रकृति की मार झेल चुके किसानों पर अब प्रशासनिक मार पड़ रही है। आपदा में खासा नुकसान झेलने के बाद अब किसानों के जख्मों पर मुआवजे का मरहम भी नहीं लग पा रहा है। पहले पटवारी हड़ताल का बहाना बनाया जा रहा था और अब जब हड़़ताल खत्म हुए एक सप्ताह से भी अधिक समय हो चुका है, तब भी किसानों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है, मुआवजे की आस में किसान भटक रहे है, कभी वह तहसील के चक्कर काटते है तो कभी सरपंच और सचिव के घर पर दस्तक देनी पड़ रही है। चक्कर काटते-काटते अन्नदाता परेशान हो चुका है। ऐसे परेशान किसानों की भीड़ तहसील में रोज देखने को मिल सकती ह।
पटवारी कहते है सचिव करेंगे, सचिव पटवारी पर टालते है
मुआवजा के लिए किसान चक्कर पर चक्कर काटते है। किसानों के अनुसार पटवारी से संपर्क करों तो वह कहते है कि सचिव करेंगे और सचिव के दर पर ठोंक दो, तो वह पटवारी द्वारा मुआवजा दिलवाले का हवाला देते है, आखिर वह जाएं तो जाएं कहाँ? अधिकारी भी तो कुछ नहीं सुन रहे है। किसान हरदयाल के मुताबिक वह खाता नंबर लिए सप्ताह भर से फिर रहा है, किन्तु कोई खाता नंबर जमा ही नहीं करता है। उल्लेखनीय है कि उड़द की फसलों की मुआवजा राशि आ गई है, लेकिन अभी तक सभी किसानों के खातों में मुआवजा राशि नहीं पहुँची है।
पटवारियों की हड़ताल से काम हुआ प्रभावित
पटवारियों की हड़ताल से मुआवजा वितरण का कार्य प्रभावित हुआ है। दरअसल जैसे ही उड़द के नुकसान की मुआवजा राशि आई, वैसे ही पटवारी हड़ताल पर चले गए। इसके चलते करीब दो सप्ताह तक इसको लेकर प्रक्रिया ही शुरु नहीं की जा सकी। अब जब पटवारियों की हड़ताल खत्म हुए सप्ताह भर से अधिक हो गया है, तब भी किसान मुआवजे के लिए परेशान है।

Updated : 17 Dec 2015 12:00 AM GMT
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