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मंगल पर मिट्टी बनने की प्रक्रिया ज्यादा पुरानी नहीं

वाशिंगटन। मंगल पर पानी की मौजूदगी के सबूत खोज रहे वैज्ञानिकों को इस दिशा में एक और जबरदस्त प्रमाण मिले हैं। अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक दल की खोज के अनुसार, मंगल ग्रह पर मिट्टी के निर्माण की प्रक्रिया बेहद प्राचीन काल की बात नहीं है। अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार, मंगल ग्रह पर मिट्टी का निर्माण काफी बाद तक बदस्तूर जारी रहा है। आम धारणा रही है कि मंगल पर ब़डे परिवर्तन ग्रह निर्माण के बिल्कुल शुरूआती काल में, करीब 3.7 अरब साल पहले, हुए थे। लेकिन इस नए अध्ययन से पता चलता है कि परिवर्तन की यह प्रक्रिया 2 अरब साल तक जारी रही। यह कल्पना विशेष रूप से सच है कि मंगल के ज्वालामुखी पह़ाड की केंद्रीय क्रेटर्स (गढढें) में मिट्टी का जमाव है। भूगर्भ वैज्ञानिक राल्फ मिलिकेन का कहना है, ""केंद्रीय क्रेटर्स (गढढें) गहराई से ऊपर की ओर उठती हुई चट्टानों से बने हैं इसलिए पिछले कुछ अध्ययनों में मान लिया गया कि केंद्रीय चोटियों पर मिली मिट्टी भी ऊपर उठ रही है।"" मंगल ग्रह के लिए हाल ही में हुए अभियान में मिट्टी के पर्याप्त सबूत और अन्य हाइड्रेटेड खनिजों के मिलने से पता चलता है कि चट्टानों में पानी की मौजूदगी से बदलाव हो रहा है।
मंगल बनने के बिल्कुल शुरूआती काल में जिसे नोआकियन युग भी कहते हैं, मंगल पर मौजूद अधिकांख मिट्टी चट्टानों में तब्दील हो गई थी। इस शोध में मिलिकन और उनके सहयोगियों ने मंगल की सतह पर फैले लगभग 633 क्रेटर्स का सर्वेक्षण किया। इनमें 265 क्रेटरों में हाइड्रेटेड खनिज मिले हैं, जिनमें से अधिकांश मिट्टी के साम्य पाए गए।
अब तक मंगल ग्रह पर अधिकतर अनुसंधान रोवर्स के जिरए ही किए गए हैं, जिनसे मिले सबूतों के आधार पर मान लिया गया कि यह इलाके रहने योग्य नहीं हैं। वैज्ञानिक बताते हैं, ""मंगल के हाल के पर्यावरण को देखने के लिए हमने इन क्रेटर्स (गढढें) की पहचान की है जो वहां के पर्यावरण का सबसे बेहतर उदाहरण हो सकते हंै।"" यह शोध "जर्नल ऑफ जियोफिजीकल रिसर्च: प्लेनेट्स" में जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा।

Updated : 16 Dec 2015 12:00 AM GMT
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