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पॉलीथिन विक्रय पर नहीं लग सकी रोक

अशोकनगर | प्रतिबंध के बावजूद अमानक स्तर की पॉलीथिन जिले में धड़ल्ले से बिक रही है। जिला मुख्यालय पर भी अमानक स्तर की पॉलीथिन का प्रयोग और विक्रय बड़े स्तर पर किया जा रहा है। शादी विवाह हो या फिर तेरहवीं-तीसरा, पिकनिक हो या जन्मदिन पार्टी पॉलीथिन का उपयोग अपरिहार्य हो गया है।
दैनिक जीवन में भी पॉलीथिन का उपयोग कदम-कदम पर हो रहा है फिर भी आज तक अमानक स्तर की पॉलीथिन बेंचने वालों पर कार्यवाही नहीं हुई है। उपयोग होने के बाद कचरे में फेंके गए इन डिस्पोजलों को जानवर खा लेते हैं जिससे उनकी मौतें तक हो जाती हैं। वहीं नालियों में फेंके जाने से नालियां लम्बे समय तक जाम पड़ी रहती हैं जिससे गंदगी और बदबू वातावरण प्रदूषित करती है। गौर करने वाली बात तो यह है कि ऐसे बुद्धिजीवी लोग जो कई समारोह में वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने की बातें करते हैं वे भी इन डिस्पोजल सामानों का उपयोग करते हैं। डिस्पोजल में चाय या फिर गर्म पदार्थ खाने-पीने से शरीर को नुकसान पहुंचता ही है साथ ही रिसाइकिल्ड प्लास्टिक से बने होने के कारण वातावरण से इसे जल्दी नहीं हटाया जा सकता। डिस्पोजल गिलास में गर्म चाय पीना शरीर को हानिकारक है लेकिन फि र भी शहर में इस पर रोक नहीं लग पा रही है। इसकी वजह सिर्फ इतनी है कि इस संबंध में कानूनी प्रावधान सख्त नहीं है। डिस्पोजल के प्लास्टिक में चाय पीने के दौरान धीमा जहर भी शरीर में चला जाता है। जानकार बताते हैं कि ये कप गर्म चीजों के संपर्क में आकर जहरीले केमिकल पैदा कर करते हैं। जिनका शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। एक ओर शासन द्वारा 40 माइक्रॉन से कम की पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाया है। वहीं दूसरी ओर इससे कम के डिस्पोजल कप का उपयोग किया जा रहा है जिससे लोगों में रोगों की आशंका बढ़ रही है जिसकी पुष्टि डॉक्टर भी कर रहे हैं। यह पर्यावरण के लिए भी हानि पहुंचा रहा है। चिकित्सक बताते हैं कि डिस्पोजल के उपयोग से बहुत धीरे-धीरे शरीर के अंदर दुष्प्रभाव उत्पन्न होता है। जिसकी जानकारी लंबा समय निकलने के बाद ज्ञात हो पाती है। डिस्पोजल का गर्म चाय के साथ संपर्क होने से रासायनिक बीमारियां होने का अंदेशा भी रहता है। एलर्जी जैसे रोग भी डिस्पोजल में चाय पीने के कारण हो सकते हैं।

Updated : 7 Nov 2015 12:00 AM GMT
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