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भक्ति और समर्पण से मिलते है भगवान : राजेन्द्र जी

गुना। भक्तमाल कथा में अनेक भक्तों की भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और दिव्य भक्ति का वर्णन है, कलियुग में नीवा जी, खेत जी दोनों पिता-पुत्र भगवान (ठाकुर जी) में अद्भुत आस्था के कारण अपना सब कुछ भगवान की सेवा में अर्पण कर साधू-संतों की सेवा करते है. आर्थिक संकट के दौरान से निकलने के बाद भी उन्होने ठाकुर जी की सेवा करना नहीं छोड़ा और अंत में ठाकुर जी के साक्षात् दर्शन किए। भार्गव कॉलोनी स्थित सत्संग कथा स्थल में उपस्थित धर्मालंबी श्रोताओं को कथा श्रवण कराते हुए मलूक पीठाधीश्वर देवाचार्य श्री राजेन्द्र दास जी महाराज ने कथा प्रसंग के दौरान कहा कि व्यक्ति में मुश्किलों के बावजूद सेवा का भाव बना रहे, यह सामान्य नहीं है, सामान्य व्यक्ति ऐसी अवस्था में विचलित हो जाता है। किन्तु भक्त खेत सिंह के मन में ऐसी भावना नहीं आई। आपने कहा कि क्रिया की महिमा है, यह न होती तो यह नहीं कहा जाता कि अमुक व्यक्ति क्रियावान है, जिसा क्रिया कर्म की अधिक महिमा गाई गई है, यदि उसमें भाव नहीं होता तो वह क्रिया बेकार है।

Updated : 15 Oct 2015 12:00 AM GMT
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