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जनमानस

उठना चाहिए अब: नेताजी सुभाष बोस की मृत्यु से पर्दा


देश की आजादी का इतिहास, प्रात: स्मरणीय सुभाष चन्द्र बोस के त्याग, राष्ट्रभक्ति की चर्चा के बिना सदा अधूरा है। वे बलिदान और देशभक्त के अनुपम उदाहरण थे तथा उनका सम्पूर्ण व्यक्तित्व और कृतित्व 125 करोड़ देशवासियों के लिए प्रेरणा गंगा के तुल्य है। देश की आजादी के आन्दोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने आई.सी.एस. जैसी आकर्षक एवं प्रतिष्ठापूर्ण नौकरी का परित्याग किया। वे ब्रिटिश दासता से भारत को मुक्त कराने के साथ जिये और उनके जीवन का सारा संघर्ष इसी दिशा में गतिशील रहा। उनका नारा 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगाÓ आज हर देशभक्त नागरिक के लिए प्रेरणा मंत्र बना हुआ है। उन्होंने अपने जीवन के 8 वर्ष जेल में बिताए तथा जापान की सहायता से आजाद हिन्द फौज का निर्माण कर विश्व की सर्वमान्य ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी। खेद और विडम्बना का विषय यह रहा कि हम और हमारी सरकारें शहीद सम्राट सुभाष चन्द्र बोस का यथोचित सम्मान नहीं कर सकी जबकि वे गांधी के बाद देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे और देश की आजादी में उनका सर्वाधिक योगदान था।
18 अगस्त 1945 को टोकियो यात्रा के दौरान ताइवान में हुई तथाकथित विमान दुर्घटना बनाम काल्पनिक मृत्यु आज भी विवादास्पद तथा एक रहस्यमयी पहेली ही प्रतीत होती है। सरकार के कई आयोग आए तथा चले गए परन्तु नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तथाकथित मृत्यु पर हमारी पूर्ववर्ती कोई सरकार पर्दा नहीं उठा सकी है। आज भी उनकी मृत्यु एक बड़ा रहस्य है। अब नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रभक्त सरकार से देश यह अपेक्षा करता है कि नवोदित मोदी सरकार इस महान देश भक्त की विवादास्पद मृत्यु पर पड़े रहस्य के पर्दे को उठाए ताकि देश एक शहीद के प्रति व्यक्त कृतघ्नता के बोझ से मुक्त हो सके।
नरेन्द्र मारकन, ग्वालियर

Updated : 24 Jan 2015 12:00 AM GMT
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