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भिण्ड-इटावा रेल लाइन पिलर में दरार से रेलवे को लगा करोड़ों का चूना

ग्वालियर। भिण्ड-इटावा रेलमार्ग के बीच निर्मित चम्बल पुल के पिलर में आई दरार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसमें रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई जिन्होंने बिना जांचे परखे पुल को हरी झण्डी दी और उन ठेकेदारों को भी छोड़ दिया गया। जिनके पास इस पुल के निर्माण का ठेका था। इसके चलते रेलवे को अब तक करोड़ों रूपए की तक चपत लग चुकी है।
उल्लेखनीय है कि भिण्ड-इटावा रेल लाइन का कार्य सन् 1986 से प्रारम्भ हुआ था। लेकिन 28 वर्ष बाद भी इस लाइन पर रेलगाड़ी नहीं चल सकी। हालांकि रेलवे ट्रेक बनकर तैयार हो चुका है। लेकिन चम्बल नदी पर बने पुल के एक पिलर नम्बर छह में आई दरार रेलगाड़ी के संचालन में बड़ी रुकावट बनकर आई है। सरंक्षा आयुक्त भी पहली बार निरीक्षण अधूरा छोड़ कर चले गए थे। वहीं उनके द्वारा दूसरी बार किए निरीक्षण की जांच रिपोर्ट भी आज तक रेलवे बोर्ड और मंत्रालय को उन्होंने नहीं सौंपी है। इस बीच राहुल तिवारी द्वारा एक जनहित याचिका सुरक्षा के लिहाज से इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई। इसमें न्यायालय ने मामला यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण विशेषज्ञ की राय लेकर पिलर में सुधार के आदेश दिए। इसके बाद अधिकारियों ने रेलवे ट्रेक तो तैयार करा लिया। लेकिन पुल के पिलर में आई दरार ने एक ही झटके में रेलगाड़ी प्रारम्भ होने से पहले ही रोक दी। अब यह चर्चा जोरों पर है कि चम्बल पुल किस अधिकारी की देखरेख में तैयार हुआ और किन ठेकेदारों द्वारा इसका निर्माण करवाया गया।

रेलवे को ऐसे लगा चूना
* पिलर की जांच के लिए आईआईटी कानपुर को करीब 20 लाख रूपए का भुगतान करना पड़ा
* पिलर की जैकटिंग के लिए करीब ढाई करोड़ का ठेका हो रहा है।
क्क रेलगाड़ी न चलने से रेलवे की आय बाधित
* जितनी बार भी ट्रेक व पुल का निरीक्षण किया गया उसमें लाखों रूपए का रेलवे को खर्चा करना पड़ा।

गंगा कन्सट्रक्शन को मिल सकता जैकटिंग का कार्य
सूत्रों के अनुसार चम्बल पुल में आई दरार में सुधार कार्य करने के लिए टेन्डर प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। बताया जाता है कि झांसी की गंगा कन्सट्रक्शन द्वारा सबसे कम लागत में (करीब ढाई करोड़) की निविदा इसके लिए भेजी गई है।

सरंक्षा आयुक्त दे सकते है जांच रिपोर्ट
सूत्रों का कहना है कि सरंक्षा आयुक्त ने अवकाश से लौटकर अपना कार्यभार संभाल लिया है। अब वे शीघ्र ही भिण्ड- इटावा लाइन से सम्बन्धित रिपोर्ट बोर्ड को सौंप सकते हैं। हालांकि सरंक्षा आयुक्त के पुन: निरीक्षण से पहले आईआईटी कानपुर और आरडीएसओ की जांच रिपोर्ट भी पहुंच गई थी। सूत्रों का कहना है कि सरंक्षा आयुक्त अपनी रिपोर्ट पेश करने से पहले चीफ ब्रिज इंजीनियर इलाहाबाद की रिपोर्ट को आधार बनाना चाहते हैं।
30 से 45 की रफ्तार से चलेगी रेलगाड़ी
यदि सरंक्षा आयुक्त अपनी रिपोर्ट में भिण्ड-इटावा रेल लाइन को हरीझण्डी देते हैं तो चम्बल पुल पर रेलगाड़ी की रफ्तार 30 से 45 के बीच रखी जा सकती है। हालांकि पुल से 75 की रफ्तार पर रेलगाड़ी को दौड़ा कर देखा जा चुका है। लेकिन सुरक्षा के लिहाज से रफ्तार कम कर सकते हैं।

''चम्बल पुल के पिलर को मजबूती प्रदान करने के लिए आईआईटी कानपुर की टीम द्वारा जांच की जा रही है। पिलर को मजबूत करने के लिए जैकटिंग का कार्य करवाया जाएगा। जहां तक निमार्ण कार्य के लिए दोषी रेलवे अधिकारी व ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई का सवाल है,प्रशासनिक स्तर पर जांच कर उनके खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही अवश्य की जाएगी।
केडी रल्ह
कार्यकारी इंजीनियर,भिण्ड-इटावा रेल लाइन

'' भिण्ड-इटावा रेल लाइन का सरंक्षा आयुक्त द्वारा निरीक्षण किया जा चुका है। पिलर की दरार की जांच की जा रही है। जल्द ही रेल लाइन प्रारम्भ होगी। पुल निर्माण में यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो जो रेलवे की प्रक्रिया है उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।''
महेश मंगल
महाप्रबंधक, इलाहाबाद मण्डल

Updated : 21 Jan 2015 12:00 AM GMT
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