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पोप फ्रांसिस ने दलाई लामा के साथ मुलाकात का खुला विकल्प रखा

रोम। पोप फ्रांसिस ने दलाई लामा के साथ मुलाकात करने का विकल्प रखते हुए इस बात को खारिज किया कि दिसंबर में चीन की नाराजगी के डर से उन्होंने तिब्बत के निर्वासित आध्यात्मिक नेता का स्वागत करने से इंकार कर दिया था।
मनीला से वापस आने पर पोप ने बताया, ‘‘किसी उच्च पदासीन व्यक्ति के किसी अंतरराष्ट्रीय बैठक के लिए रोम में आने पर उनका स्वागत करना राज्य के विदेश मंत्री के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल में नहीं आता।’’
दलाई लामा पिछले माह नोबल शांति पुरस्कार विजेताओं के एक सम्मेलन में शिरकत करने के लिए रोम आए थे। पोप ने कहा, ‘‘जब एफएओ (खाद्य एवं कृषि संगठन) की बैठकें थीं, मैं किसी से नहीं मिला।’’ उनका कहना है, ‘‘कुछ अखबारों ने कहा कि मैं उनसे चीन के डर से नहीं मिला लेकिन यह सच नहीं है।’’ वहीं, वेटिकन और चीन के बीच करीबी संबंधों के प्रयासों के बारे में पोप ने कहा कि ‘‘चीनी लोग नम्र होते हैं और हम भी नम्र हैं। हम चीजों को चरणबद्ध तरीके से कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘चीनी जानते हैं कि चीनी अधिकारियों की वेटिकन में आगवानी करने के लिए तैयार हूं।’’ जब उनका विमान मनीला से वेटिकन लौटा, पोप ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को एक टेलीग्राम भेजा। वे जिस भी देश के ऊपर से होकर उड़ान भरते हैं, उसे ऐसा संदेश भेजते हैं। उन्होंने संदेश में कहा, ‘‘मैं आपके लिए और चीनी लोगों के लिए सद्भाव एवं समृद्धि की प्रार्थना करता हूं।’’
दिसंबर में सूत्रों ने कहा था कि वेटिकन का यह निर्णय दरअसल चीनी प्रतिक्रिया के प्रति चिंता को दर्शाता है। साथ ही यह उस इच्छा को भी दर्शाता है, जो बीजिंग के साथ संबंध सामान्य करने के प्रयासों को कमजोर नहीं पड़ने देना चाहती या देश के छोटे से कैथोलिक समुदाय के खिलाफ प्रतिफल के रूप में जोखिम नहीं उठाना चाहती।
गौरतलब है कि वर्ष 1951 में अध्यक्ष माओ ने वेटिकन के साथ राजनयिक संबंध तोड़ लिए थे, उसके बाद से आज तक दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं।

Updated : 20 Jan 2015 12:00 AM GMT
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