मंडी अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का षड्यंत्र
रमेश राठौर / मौ, निप्र। कृषि उपज मण्डी समिति मौ के आधे से ज्यादा असंतुष्ट सदस्य राज्य सरकार के नए नियम म.प्र. कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1972 की धारा 14 एवं 14 क कृषि उपज मण्डी अधिनियम 2013 के तहत मौ मण्डी अध्यक्ष सज्जन यादव को पद से हटाने के लिए कभी भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का पत्र मण्डी सचिव के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। मण्डी एक्ट नियमानुसार सचिव प्रस्ताव मिलने के बाद मण्डी समिति की बैठक की तिथि तय करेगा और इस संबंध में जिलाधीश को सूचित करेगा, फिर जिलाधीश पीठासीन अधिकारी तय करेंगे, जिनको यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी। मौ मण्डी चतुर्थ श्रेणी की होने की बजह से इसकी जबाबदेही के लिए नायब तहसीलदार को पीठासीन अधिकारी नियुक्त करना होगा।
सूत्रों का कहना है कि नाराज सदस्य गोपनीय तरीके से एकजुट होकर इस कार्य को करने के लिए अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं और अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए मौके की तलाश में हैं। नए अधिनियम में निर्वाचित सदस्यों में से 50 फीसदी सदस्यों की अविश्वास प्रस्ताव लाने की आवश्यकता है। अध्यक्ष सहित 12 सदस्यों में से यदि छह सदस्य अविश्वास के लिए जैसी कि चर्चा है यदि लामबंद हो जाते हैं तथा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है और मतदान की प्रक्रिया अपनाई गई तो उनकी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। इन नाराज सदस्यों ने अभी अपना नाम गोपनीय रखते हुए बताया कि उनके साथ सात सदस्य हैं, जो इस कार्रवाई के लिए पर्याप्त है।
चुनाव याचिका है लंबित
मात्र एक वोट से पराजित शांतिदेवी गुर्जर ने मण्डी चुनाव के निर्वाचन अधिकारी द्वारा अध्यक्ष पद के घोषित नतीजे के खिलाफ अपीलीय अधिकारी आयुक्त चंबल संभाग ग्वालियर के न्यायालय में सुनवाई के लिए दायर याचिका लंबित है। मण्डी सदस्य शांतिदेवी गुर्जर के प्रतिनिध भानुप्रताप सिंह उर्फ नन्हेराजा सिंह गुर्जर का कहना है कि उनके द्वारा दायर की गई चुनाव याचिका में न्यायालय द्वारा मांगे गए अभिलेख को राजनैतिक दबाब में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है, इसके लिए अब वे सक्षम न्यायालय में कार्रवाई करने वाले हैं।
नाराजगी क्यों?
मात्र डेढ़ साल के कार्यकाल में मण्डी अध्यक्ष के प्रति उनकी टीम के सदस्यों की नाराजगी क्यों बढ़ी इसके जबाब में असंतुष्ट सदस्यों का कहना है कि जब से नई समिति निर्वाचित हो कर आई है तब से उसने मण्डी की तरक्की के बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, बल्कि मौ मण्डी की आर्थिक स्थिति दिनोंदिन खराब होती चली जा रही है। आमदनी की तरफ कतई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विकास कार्य तो दूर कर्मचारियों को वेतन तक ठीक से समय पर नहीं मिल पा रहा है। जन प्रतिनिधियों ने इस गंभीर विषय पर ध्यान नहीं दिया तो चंद दिनों के भीतर ही डी क्लास की मौ मण्डी टूट जाएगी।
मण्डी समिति के उपाध्यक्ष राजीव कौशिक का कहना है कि बैठक में लिए जाने वाले निर्णयों, सुझावों पर अमल न होने की बजह से ही मण्डी की आर्थिक स्थिति बिगड़ी है। अधिकारी कर्मचारियों के स्थानीय होने एवं समिति के दबाव से प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाते हैं जिससे वे मण्डी की घटती आमदनी पर चिंता नहीं करते हैं। मण्डी सदस्यों का तो यह कहना है कि वे किसानों, व्यापारियों को पीने का पानी और धूप से बचने के लिए छांव तक का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं तो और कर भी क्या सकते हैं, इससे तो हम इस्तीफा दे दे ंतो ज्यादा अच्छा होगा।
अध्यक्ष-सचिव को मिला नोटिस
मौ कृषि उपज मण्डी समिति के अध्यक्ष और सचिव को आमदनी में लगातार हो रही गिरावट पर उप संचालक ग्वालियर के द्वारा नाटिस भी मिल चुका है, मगर इसके बावजूद भी इन्होंने आमदनी बढ़ाने के लिए प्राथमिकता के आधार पर कोई कार्य योजना भी नहीं बनाई और न ही इस संबंध में समिति के अनुभवी सदस्यों से विचार विमर्श करना उचित समझा।
कोरी अफवाह है
मण्डी अध्यक्ष के सहयोगी मण्डी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की खबर को कोरी अफवाह बताते हैं। उनका कहना है कि इस वर्ष मण्डी में सरसों, मसूर सहित कई फसलों की पैदावार कम होने से मण्डी में गल्ला की आवक कम हुई इसलिए आमदनी घटी है। मण्डी समिति में अध्यक्ष को पूर्ण बहुमत है। सभी सदस्य उनके साथ है।