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भविष्य निधि आयुक्त की कार्रवाई गलत, सात दिन में पैसा वापस करें: न्यायालय

ग्वालियर । देश में पहली बार भविष्य निधि आयुक्त की कार्रवाई को गलत ठहराते हुए पैसे वापस करने का आदेश दिया गया है। न्यायमूर्ति एस.के. गंगेले व न्यायमूर्ति बी.डी.राठी की युगलपीठ ने जन शिक्षण संस्थान की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पैसे निकालते समय नियमों की अनदेखी की गई है।
भविष्य निधि आयुक्त ने जन शिक्षण संस्थान मुरैना के विरुद्ध लगभग 17 लाख रुपए की राशि वसूलने का आदेश दिया। बाद में आयुक्त ने संस्थान को बिना सूचना दिए उनके ही बैंक खाते से 12 लाख 47 हजार 550 रुपए निकाल लिए। इसके विरुद्ध संस्थान ने नई दिल्ली स्थित भविष्य निधि अभिकरण में याचिका दायर की। अभिकरण ने 11 जुलाई को उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए आयुक्त की कार्रवाई को गलत ठहराया और संस्थान को सात दिन में निकाली गई राशि वापस देने का आदेश दिया। आदेश का पालन नहीं होने पर संस्थान ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सोमवार को हुई सुनवाई में न्यायालय ने अभिकरण के फैसले को सही ठहराते हुए भविष्य निधि आयुक्त को सात दिन में पैसे वापस करने का आदेश दिया। उल्लेखनीय है कि देश में पहली बार भविष्य निधि आयुक्त की कार्रवाई को गलत ठहराते हुए पैसे वापस करने का आदेश दिया गया है। इस प्रकरण में शिक्षण संस्थान की ओर से पैरवी अभिभाषक डीके अग्रवाल ने की।

Updated : 26 Aug 2014 12:00 AM GMT
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