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पशुओं के लिए प्राणघातक बनी गर्मी

भिण्ड । बरसात के मौसम का एक माह पूरा निकलने को है, लेकिन मानसून के न आने से बारिश में देरी हो रही जिससे दिनोंदिन तेज गर्मी बढ़ती ही जा रही है। यह गर्मी आमजन के लिए तो परेशानी है ही लेकिन पशुओं के लिए भी प्राणघातक साबित हो रही है, कई किसान गर्मी में भी पशुओं को खिलाने के लिए हरे चारे की व्यवस्था हेतु नजदीकी खेतों में चरी बोते हैं, इस बार भी अटेर क्षेत्र के कई ग्रामों में लोगों ने चरी की है जिसके पत्ते बारिश न होने के कारण पशुओं के लिए प्राणघातक साबित हो रहे हैं।
जिला मुख्यालय से पांच-छह कि.मी. की दूरी पर उदोतपुरा, मडैया व मिहोनी इत्यादि ग्रामों में लगातार पशुओं के बीमार पडऩे की खबरें मिल रही हैं। विगत एक सप्ताह से कई पशुओं की अकाल मौत भी हुई व कई गंभीर बीमार हैं, इस हादसे का शिकार सर्वाधिक गौवंश हो रहा हे, लोग गाय व उसके वंश को खेतों में चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं, बरसात न होने से खेतों में नाममात्र की हरियाली भी नहीं है जिससे आवारा पशु ट्यूबवैल के नजदीक खेतों में खड़ी चरी व चारा खाने पहंच जाते हैं तेज धूप के कारण खेतों में खड़ी चरी के पत्ते भी जहरीले हो चुके हैं, जिन्हें खाने से पशुओं की हालत खराब हो जाती है। खुले में घूम रहे पशुओं के पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, कई पशु प्यासे ही दम तोड़ देते हैं। यदि गर्मी की यही स्थिति रही तो ग्रामीण इलाके व जंगली जानवरों की हालत बिगड़ सकती है, बारिश की विलंबता को ध्यान में रखते हुए पशुओं के पानी पीने की व्यवस्था के लिए जल स्त्रोत को बढ़ाने की आवश्यकता है। यही नहीं तालाबों में पानी भरवाने की जरूरत है।
तीन गायों की हुई अकाल मौत
अटेर रोड पर स्थित उदोतपुरा, मड़ैया व अन्य ग्रामों में भीषण गर्मी से तीन गायों की मौत हो गई व कई गाय गंभीर रूप से बीमार हैं, पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने गांव जाकर पशुओं के उपचार की व्यवस्था शुरू कर दी है जिसमें कई बीमार गाय अब ठीक हैं, लेकिन जिला प्रशासन को सचेत होकर समूचे जिलेभर में पशुओं के पानी की व्यवस्था करने की जरूरत है और आवारा पशुओं पर प्रतिबंध लगाकर उनके पालकों को हिदायत दी जाए, यदि किसी का पालतू जानवर आवारा घूमता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

Updated : 2 July 2014 12:00 AM GMT
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