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पासपोर्ट प्राप्त करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार: उच्च न्यायालय

पासपोर्ट प्राप्त करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार: उच्च न्यायालय
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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अपने नाम का पासपोर्ट हासिल करना और विदेश यात्रा करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। न्यायमूर्ति मनमोहन इस मामले की सुनवाई कर रहे थे।
इस कथन के साथ ही न्यायालय ने तीन बार पासपोर्ट खोने वाले व्यक्ति को पासपोर्ट जारी करने का केंद्र सरकार को निर्देश दिया है। इस संदर्भ में न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने विदेश मंत्रालय और संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता ए. विकास के लिये फिर से पासपोर्ट जारी किया जाए।
इसके अलावा न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा कि उसने अपने पासपोर्ट का ध्यान नहीं रखा इसलिए उसे लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल को धर्मार्थ 50 हजार रुपये देने चाहिए।
अपना फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील को सुनने और मुकदमे की फाइल के अवलोकन के बाद इस अदालत का यह मानना है कि विदेश जाना और अपने नाम का पासपोर्ट प्राप्त करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। मौजूदा याचिका और अर्जी स्वीकार की जाती है और प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता को फिर से या विकल्प के रूप में नया पासपोर्ट देने का निर्देश दिया जाता है।
गौरतलब हो कि याचिकाकर्ता का भाई भी ऑस्ट्रेलिया में बसा हुआ है। ऐसी स्थिति में याचिकर्ता को पासपोर्ट नहीं देने से उसके मौलिक अधिकार का हनन होगा।
दरअसल याचिकाकर्ता के तीन बार अपना पासपोर्ट खो दिया और उसे क्षेत्रीय कार्यालय ने चौथी बार पासपोर्ट जारी किया था। लेकिन उसने इसे क्षतिग्रस्त हालत में लौटा दिया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि उसने जानबूझकर न तो पासपोर्ट गंवाया है और न ही इसे क्षतिग्रस्त किया है और उसने तो शांतिपूर्ण तरीके से अल्पावधि के लिये कुछ देशों की यात्रा की हैं। इसलिए एक बार फिर उसे पासपोर्ट जारी किया जाए।
लेकिन इसके विरोध में विदेश मंत्रालय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह एक कीमती शासकीय दस्तावेज को सुरक्षित रखने में विफल रहा है। हालांकि न्यायालय ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया।

Updated : 13 July 2014 12:00 AM GMT
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