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भोपाल गैस त्रासदी की याद दिलाता भिलाई का हादसा

भोपाल गैस त्रासदी की याद दिलाता भिलाई का हादसा
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रायपुर । एशिया के सबसे बड़े इस्पात संयंत्र भिलाई स्टील प्लांट में कल देर शाम हुए हादसे ने भोपाल गैस त्रासदी की याद को ताजा कर दिया है। भिलाई इस्पात संयंत्र के ब्लास्ट फर्नेंस में गैस रिसाव होने के कारण बीएसपी के तीन अधिकारियों सहित 7 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। संयंत्र के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक यह हादसा वाटर पंप हाऊस नंबर दो में ब्रेक डाऊन की वजह से हुआ। इसी कारण पाईप लाईन से कार्बन मोनो ऑक्साईड गैस का रिसाव शुरु हो गया। कार्बन मोनो ऑक्साईड दमघोटू खतरनाक गैस है। यह रंगहीन और स्वादहीन होती है, इसके प्रभाव में आने वाले व्यक्ति को इसका एहसास काफी देर से होता है। जानकारों के मुताबिक मनुष्यों के लिए यह गैस जानलेवा गैस मानी जाती है। भिलाई इस्पात संयंत्र से गैस का रिसाव लगातार जारी है। ऐसी खबरें भी मिल रही है कि संयंत्र में काम कर रहे काफी लोग इस गैस की चपेट में आए हैं।
यह घटना मध्य प्रदेश के भोपाल शहर मे 3 दिसम्बर सन् 1984 को हुई एक भयानक औद्योगिक त्रासदी की याद दिलाती है। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइल आइसोसाइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मरने वालों के अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है। फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 थी। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3,787 की गैस से मरने वालों के रुप में पुष्टि की थी । अन्य अनुमान बताते हैं कि 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी और लगभग अन्य 8000 लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे। 2006 में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 558,125 लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने की संख्या लगभग 38,478 थी। 3900 तो बुरी तरह प्रभावित हुए एवं पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गये।भोपाल गैस त्रासदी को लगातार मानवीय समुदाय और उसके पर्यावास को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता रहा।
इधर छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई शहर में हुए इस हादसे में संयंत्र प्रबंधन की लापरवाही साफ नजर आ रही है। हादसे के बाद बीएसपी ने ब्लास्ट फर्नेंस की पानी सप्लाई को इसलिए बंद नहीं किया क्योंकि इससे उत्पादन बंद हो जाता। यही हादसे की बड़ी वजह बताई जा रही है। ऐसी भी खबर मिल रही है कि संयंत्र से चार दिन पहले भी गैस रिसाव हुआ था और मौके पर मौजूद डीजीएम का स्वास्थ्य खराब हो गया जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद भी भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन नींद से नहीं जागा और सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। विशेषज्ञ बताते है कि बीएसपी में जहां पंप हाऊस है वह ग्राउण्ड लेवल से 35 फीट नीचे है। सप्लाई के समय फोर्स के साथ पानी जीसीपी में जाता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि किसी कारणवश पानी का फ्लो रुक गया और जीसीपी की गैस रिवर्स होने लगी। पानी और गैस का रिसाव एक साथ होने से पाईप का तापमान बढ़ गया और इसमें ब्लॉस्ट हो गया। इसके बाद खतरनाक कार्बन मोनो आक्साईड गैस का रिसाव शुरु हो गया और यह सिलसिला अभी भी जारी है। हालांकि संयंत्र का अमला गैस का रिसाव रोकने में जुटा हुआ है।
भिलाई इस्पात संयंत्र में इस हादसे से यह स्पष्ट हो गया है कि संयंत्र प्रबंधन हादसे के लिए जिम्मेदार है। इस बीच दुर्ग की जिला कलेक्टर आर संगीता ने इस मामले की दण्डाधिकारी जांच कराने के निर्देश दिये है। वहीं केन्द्रीय इस्पात मंत्री नरेन्द्र तोमर ने विभागीय स्तर पर इस हादसे की जांच कराने की बात कही है। इन सब के बीच यह जरुरी हो गया है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाही की जाये।

Updated : 13 Jun 2014 12:00 AM GMT
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