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जनमानस

कांगे्रस का यह कैसा मजबूत उम्मीदवार

वाराणसी में मजबूत प्रत्याशी उतारने का कांगे्रस का बड़बोलापन पहली नजर में फुस्स होता दिखाई दे रहा है। कई बार कांगे्रसी नेताओं के बयानों से ऐसा ही लग रहा था कि कांगे्रस काफी सोच समझकर प्रत्याशी का चयन करेगी, और कांगे्रस ने ऐसा किया भी होगा। कांगे्रस के काफी सोच विचारने के बाद जो मजबूत प्रत्याशी दिखाई दिया, उसका नाम अजय राय है। वाराणसी में भाजपा ने अपने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी को बहुत पहले ही उम्मीदवार घोषित कर दिया था। उसके बाद कभी हां और कभी ना के बीच आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल भी मैदान में आ गए। केवल कांगे्रस प्रत्याशी के आने की प्रतीक्षा थी, अब वह भी समाप्त हो गई। कांगे्रस के अजय राय के सामने आने से संभवत: यही प्रमाणित हो रहा है कि कांगे्रस इस चुनाव को जीतने के लिए नहीं, बल्कि नाम की लड़ाई के लिए लड़ रही है। अजय राय कांगे्रस की ओर से एक चौंकाने वाला नाम ही कहा जाएगा, क्योंकि जनता को शायद यह अनुमान रहा होगा कि वाराणसी में कांगे्रस की ओर से कोई राष्ट्रीय स्तर का नेता ही आएगा, लेकिन राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की मांग करने के बाद भी इस योग्य नहीं समझा गया कि वे भाजपा से मुकाबला कर सकें। कांगे्रस की ओर से दिग्विजय सिंह भी यह कह चुके थे कि कांगे्रस मुझे उम्मीदवार बनाती है तो मैं मुकाबले को तैयार हूं, लेकिन कांगे्रस ने किसी की एक न सुनी। कई कांगे्रसियों का राष्ट्रीय ख्याति पाने का सपना मात्र सपना ही बनकर रह गया। कांगे्रस की ओर से अजय राय के आने से पूरे देश में शायद यही सन्देश गया है कि नरेन्द्र मोदी का मुकाबला करने का सामथ्र्य कांगे्रस के पास नहीं है। इतनी खोजबीन करने के बाद भी उसे कोई मजबूत प्रत्याशी ही नहीं मिल सका। अब सवाल यह उठता है कि क्या कांगे्रस इस बात को जान चुकी है, कि नरेन्द्र मोदी के सामने हमारी लड़ाई काफी कमजोर है। अगर नहीं तो वे कौन से कारण रहे जिसके परिणाम स्वरूप कांगे्रस ने ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया जिसको राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना नहीं जा सकता। लगता है कांगे्रस ने मैदान में उतरने से पहले ही हार मान ली है।
सुरेश हिन्दुस्थानी, ग्वालियर

Updated : 11 April 2014 12:00 AM GMT
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