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योजना आयोग पर मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक, ममता और उमर ने किया किनारा

योजना आयोग पर मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक, ममता और उमर ने किया किनारा
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नई दिल्ली | 1950 में स्थापित योजना आयोग का नाम बदलकर उसमें आमूलचूल परिवर्तन करने की दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाईहै। इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने नुमाइंदे भेजकर इस बैठक से किनारा कर लिया। सूत्रों के अनुसार ममता ने अपने राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा को अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा है। बैठक में गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री पहुंचे हैं। गौरतलब है कि ममता बनर्जी के बैठक में नहीं आने को लेकर पहले से ही चर्चाएं थीं।
प्रधानमंत्री आवास पर प्रधानमंत्री मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ यह बैठक आज सुबह 10 बजे के करीब शुरू हुई है, जिसमें नई सरकार के तहत बदलते आर्थिक हालात के बीच मौजूदा योजना आयोग की जगह नई संस्था के स्वरूप, उसका दायरा और भूमिका पर चर्चा होगी। योजना आयोग की जगह 8 सदस्यों की एक टीम होगी जो संभवतः नीति आयोग के नाम से जाना जाएगा। बैठक को दो सत्रों में आयोजित किया गया है। पहला सत्र दोपहर डेढ़ बजे तक चलेगा और दूसरा सत्र शाम चार से पांच बजे के बीच खत्म होगा। उसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली प्रेस कांफ्रेंस करेंगे जिसमें वह बताएंगे कि योजना आयोग के बदलाव के संदर्भ में किस मुख्यमंत्री ने क्या पक्ष रखे हैं।
सूत्र बताते हैं कि योजना आयोग की जगह जो भी नया संस्थान बनेगा वह प्रधानमंत्री को सलाह देगा। इसके अलावा यह विचार संस्था के तौर भी काम करेगा जिसका नेटवर्क विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों के साथ होगा। नया संस्थान राज्यों और केंद्र को विभिन्न मामलों में आंतरिक परामर्श सेवा प्रदान कर सकता है। इसका उपयोग मध्यम और दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार, हम राज्यों को सशक्त बनाने में विश्वास रखते हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि बैठक के बाद जो भी फैसला किया जाएगा, उससे राज्य की स्थिति बेहतर होगी। एजेंडे के मुताबिक योजना सचिव सिंधुश्री खुल्लर उस नए संस्थान के काम-काज और रूपरेखा के बारे में प्रस्तुति देंगे जो आखिरकार मौजूदा योजना आयोग की जगह लेगा। माना जा रहा है कि नए संस्थान के कामकाज में निगरानी एवं आंकलन, कार्यक्रम परियोजना और योजना आंकलन, विभिन्न क्षेत्रों और अंतर-मंत्रालयीय विशेषज्ञता, मूल्यांकन और परियोजनाओं की निगरानी शामिल होगी। मालूम हो कि मई 2014 से योजना आयोग का पुनर्गठन नहीं किया गया है जबकि इसके सदस्यों ने आम चुनाव के बाद बनी नई सरकार का गठन होने पर इस्तीफा दे दिया था।

Updated : 7 Dec 2014 12:00 AM GMT
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