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पांच माह में भी नहीं बता सका शासन, वन विभाग की भूमि कैसे हो गई निजी?

ग्वालियर। उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने संवत 1957 के समय से वन विभाग के नाम से दर्ज भूमि, निजी व्यक्ति के नाम दर्ज होने पर शासन से जवाब मांगा है। प्रकरण जनहित याचिका का है जिसमें याचिकाकर्ता आनंद भारद्वाज ने निर्माणाधीन जिला न्यायालय परिसर के शीघ्र निर्माण व आसपास की भूमि को उद्यान व पार्किंग के लिए आवंटित करने की मांग की है। हालांकि सात मई को हुई सुनवाई में न्यायालय ने शासन से जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया था लेकिन हर बार की तरह सोमवार को शासन ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय मांग लिया।
याची आनंद भारद्वाज के अभिभाषक राजू शर्मा ने न्यायालय को बताया कि जिस जमीन पर निर्माण हो रहा है उससे सटी हुई जमीन सर्वे क्रमांक 273 में आती है जो राजस्व विभाग में शासकीय भूमि के रूप में दर्ज थी लेकिन 1982 में उक्त भूमि को निजी घोषित कर दिया गया। जिसकी जांच अतरिक्त जिला न्यायाधीश से कराई गई थी। हालांकि उसमें भी इस बात की जानकारी नही मिल पाई थी कि किस तरह से यह भूमि निजी घोषित हो गई। इसके साथ ही उन्होंने आवेदन देते हुए न्यायालय के 60 फुट चौड़े पहुंच मार्ग के दोनों ओर की जमीन पर उद्यान व पार्किंग की व्यवस्था करने की मांग की है। उन्होंने तर्क दिया कि पहुंच मार्ग के अगल-बगल की भूमि पूर्व में वन विभाग की थी जिसे नियमों को ताक पर रखते हुए निजी लोगों के नाम चढ़ा दिया गया। भविष्य में यदि इस भूमि पर निर्माण किया गया तो न्यायालय के पहुंच मार्ग पर अस्थायी अतिक्रमण होने की संभावना रहेगी। प्रकरण की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।


Updated : 14 Oct 2014 12:00 AM GMT
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