ज्योतिर्गमय

सच्चाई की जिंदगी

धर्मग्रंथ सच बोलने की हिदायत देते हैं। पर जब इंसान सच्चाई को अपनाता है, तो उसे लगता है कि अगर मैं इसे अपनाता रहूंगा, तो जिंदगी में सफल नहीं हो पाऊंगा। हमें लगता है कि जो लोग झूठ बोलते हैं, वे सब बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। लेकिन महापुरुष कहते हैं कि यदि हमें जिंदगी के मकसद तक पहुंचना है, तो हमें सच्चाई के साथ जीना होगा। वह सच क्या है? उसे जानना है। दुनिया में जो कुछ भी सच है, वह सृष्टि की शुरुआत में भी सच था, आज भी सच है और आगे भी सच रहेगा। यदि हम उस सच्चाई को जान जाएं, तो हमारी जिंदगी सफल हो जाएगी। एक डाकू की जिंदगी बदलने की कहानी है। वह बड़ी लूटमार करता था। डाके डालता था और सोचता था कि मैं बहुत अच्छा काम कर रहा हूं। एक दिन उसे डाके में बहुत सा धन मिला, लेकिन वह लालची बहुत था। उसे एक जगह भीड़ दिखी। सोचा, चलो यहां चुपचाप किसी का पर्स साफ कर देता हूं। दरअसल, वहां प्रवचन चल रहा था। संत जी प्रवचन दे रहे थे कि इंसान को सच्चाई से जिंदगी जीनी चाहिए। हमें हर एक की मदद करनी चाहिए। तभी व्यक्ति का उद्धार हो सकता है। डाकू पर बड़ा प्रभाव पडा। वह संत के पास पहुंचा और बोला- मैंने जीवन में हमेशा बुरे काम किए हैं, क्या मेरा उद्धार हो सकता है। मैं डाका डालना नहीं छोड़ सकता, क्योंकि दूसरा कोई काम मैंने सीखा नहीं। तब संत बोले- तुम केवल सच बोलना शुरू कर दो, तुम्हारा उद्धार हो जाएगा।
डाकू अगले दिन राजा के किले में डाका डालने गया। उसने चौकीदार से कहा- मैं यहां डाका डालने आया हूं। चौकीदार ने समझा- कोई डाकू ऐसा तो कहता नहीं, जरूर मजाक कर रहा होगा। उसने उसे अंदर जाने दिया। वह तिजोरी के पास पहुंच गया। तिजोरी उठाकर ले जाने लगा, तो चौकीदार ने पूछा- यह क्यों ले जा रहे हो? वह बोला- मैं इसे चुराकर ले जा रहा हूं। चौकीदार ने सोचा, जरूर यह कोई भद्र पुरुष है, जो मेरी परीक्षा ले रहा है। उसने उसे जाने दिया।
चोरी की खबर राजा तक पहुंची। सबकी पेशी हुई। चौकीदार की बात सुनकर डाकू को बुलाया गया। उसकी सच्चाई वाली बातें सुनकर राजा ने कहा- यह डाकूभले ही हो, लेकिन सच्चा है। सच्चे लोग कम मिलते हैं, इसलिए तुम अब महल में ही नौकरी करोगे। तुम्हे डाका डालने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
दरअसल, सच्चाई हमें गलत कामों से दूर ले जाती है और हमारी जिंदगी खुशियों से भरपूर हो जाती है और एक सच्चा इंसान ही प्रभु को पा सकता है। अपने आम व्यवहार में सच्चाई की जिंदगी जीना सबसे बडा गुण है। सच्चाई से मन के भीतर शांति का अनुभव होता है। गुरुवाणी में कहा गया है कि जिसने बाहर सुख-चैन पाने की कोशिश की है, वह भ्रम में भूला रहता है। जो अंदर की दुनिया में जाते हैं, वे ही सच्चाई को पाते हैं।

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