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पांच हत्यारों की फांसी की सजा पर राष्ट्रपति ने लगाई मुहर, दो को उम्रकैद

पांच हत्यारों की फांसी की सजा पर राष्ट्रपति ने लगाई मुहर, दो को उम्रकैद
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नई दिल्ली | राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लंबित सात और दया याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है। इनमें से पांच मामलों में फांसी की सजा बरकरार रखी गई है, जबकि दो में राहत देते हुए फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला गया है। राष्ट्रपति ने जो दया याचिकाएं खारिज की हैं उनमें से एक हरियाणा के धर्मपाल का भी है। बलात्कार में दोषी ठहराए गए हरियाणा के धर्मपाल ने परोल पर रिहा होने के बाद बलात्कार पीड़िता के परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी। धर्मपाल की दया याचिका पर 14 सालों से कोई फैसला नहीं हो पाया था। सूत्रों के मुताबिक उसे अगले हफ्ते फांसी दी जा सकती है। गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को भेजी गईं सात दया याचिकाओं में से पांच को खारिज करने और दो को उम्रकैद में बदलने की सिफारिश की थी। इसमें उम्रकैद का मतलब 14 या 20 साल की सजा नहीं, बल्कि मरने तक जेल में रहने से था। राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय की सिफारिश को जस की तस मंजूर कर लिया। हालांकि जिन दो मामलों के दोषियों की सजा आजीवन कारावास में बदली है, उनके लिए ये शर्त भी रखी है कि उन्हें पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी, उन्हें 14 या 20 साल बाद रिहा नहीं किया जा सकेगा। इन दया याचिकाओं पर फैसला सुनाने के बाद अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास कोई भी दया याचिका लंबित नहीं है। जिन मामलों पर राष्ट्रपति ने अपना रुख साफ किया है वो इस प्रकार हैं- गुरुमीत सिंह जिस पर 13 हत्याओं का आरोप है, सुरेश और राम जी पर उत्तर प्रदेश में हत्या का आरोप, धर्मपाल हरियाणा में रेप और हत्या का आरोपी, संजीव और सोनिया हरियाणा में हत्या के आरोपी, सुंदर सिंह उत्तराखंड में हत्या का आरोपी, जफर अली भी उत्तर प्रदेश में हत्या का आरोपी और अन्तिम प्रवीण कुमार कर्नाटक में हत्या का आरोपी हैं।




Updated : 4 April 2013 12:00 AM GMT
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