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दो साल में बंद हुए 52 इंजिनियरिंग कॉलेज

नई दिल्ली। विद्यार्थियों की संख्या पर्याप्त नहीं होने व घाटे में होने की वजह से पिछले दो सालों में देश मे 52 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद कर दिए गए है। जिसकी वजह से तकरीबन 194 विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं। इतना ही नहीं अगामी वर्ष में 25 और कॉलेजों ने बंद किए जाने का आवेदन किया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री एम एम पल्लम राजू ने शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान राज्यसभा को सूचित किया कि साल 2011-12 में देश में 35 और साल 2012-13 में 17 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हुए है। शैक्षिक साल 2013-14 में बंद के लिए 25 इंजीनियरिंग कॉलेजो ने आवेदन किया है।
उन्होंने बताया कि साल 2011-12 और साल 2012-13 में इंजीनियरिंग कॉलेजों के बंद होने से 194 छात्र प्रभावित हुए थे जिन्हें संबंद्ध विश्वविद्यालयों के नजदीकी कॉलेज में प्रवेश दिया गया। मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि बंद हुए संस्थानों के प्राध्यापकों को भी विश्वविद्यालय से संबद्ध समीपवर्ती कॉलेज में समायोजित करने के प्रयास किए गए। इन प्राध्यापकों का वेतन संस्थान द्वारा एआईसीटीई में जमा कराई गई सुरक्षा राशि में से वसूल किया जा सकता है।
प्रसाद ने बताया कि संस्थानों के बंद होने के कारण छात्रों का अभाव या एआईसीटीई द्वारा निर्धारित मानकों का पालन न करना आदि हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012-13 में 17 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने के कारण 3052 सीटें कम की गईं थीं। जिन नए 95 इंजीनियरिंग कॉलेजों को मंजूरी दी गई है, उनमें 27,060 सीटें और उपलब्ध कराई गईं हैं। वर्ष 2011-12 में 35 इंजीनियरिंग संस्थाओं के बंद होने के कारण 10411 सीटें कम कर दी गईं थीं। इसके एवज में, अनुमोदित किए गए नए 178 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 51,900 सीटें और उपलब्ध कराई गईं।



Updated : 1 March 2013 12:00 AM GMT
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