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प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी आवश्यक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी आवश्यक नहीं: सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली |
सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को प्रेसीडेंशियल रेफरेंस पर अपनी राय रखते हुए कहा कि निजी कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक दोहन की खातिर प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन का एकमात्र तरीका नीलामी नहीं है।मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया, न्यायमूर्ति डीके जैन, न्यायमूर्ति जेएस खेहर, न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने 16 अगस्त को सुनवाई पूरी की थी। प्रेसीडेंशियल रेफरेंस 12 अप्रैल को दाखिल किया गया था और सुनवाई 11 मई को शुरू की गई थी। रेफरेंस में 12 सवाल उठाए गए थे और इनमें सरकार इस मुद्दे पर अदालत की राय जानना चाहती थी कि क्या आवंटन योग्य प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन सिर्फ नीलामी के जरिए ही किया जाना चाहिए। रेफरेंस में पूछा गया कि क्या प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए नीलामी का रास्ता सर्वोच्च न्यायालय के पुराने आदेशों के प्रतिकूल नहीं होगा। रेफरेंस 2जी फैसले के बाद दाखिल किया गया था, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि स्पेक्ट्रम जैसे दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों को राज्य द्वारा आवंटन करना हो, तो पारदर्शी सार्वजनिक नीलामी एकमात्र वैध तरीका है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पहले आओ, पहले पाओ की नीति दोषपूर्ण है और उसने 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे।न्यायालय की इस व्यवस्था के बाद ही सरकार ने 12 अप्रैल को राष्ट्रपति के माध्यम से आठ सवालों पर संविधान के अनुच्छेद 143 (1) के तहत शीर्ष अदालत से राय मांगी थी।

Updated : 27 Sep 2012 12:00 AM GMT
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